पटना। राजधानी पटना का कई इलाका इन दिनों डेंगू हॉट स्पॉट बना हुआ है। जिले में रोजाना 10-12 मरीज मिल रहे हैं। जबकि प्राइवेट अस्पतालों में इसकी संख्या और अधिक है। गुरुवार को दो वर्षीय बच्चे सहित नौ नये मरीज मिले है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में अब तक कुल मरीजों का आंकड़ा 128 तक पहुंच गया है। इनमें बच्चे और युवा सबसे ज्यादा डेंगू की चपेट में आ रहे हैं। इसके अलावा पीएमसीएच में 10 मरीज डेंगू के मिले हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आशंका जाहिर की है कि वर्तमान में डी-2 स्ट्रेन की वजह से डेंगू फैल रहा है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पायी हैं।
घर के आसपास पानी जमा नहीं होने दें
चिकित्सकों के मुताबिक बारिश के सीजन में मच्छरों से बचाव करने और घर के आसपास साफ-सफाई रखने की जरूरत है। घर के आसपास पानी जमा नहीं होने दें। क्योंकि साफ जमा पानी में ही डेंगू के मच्छर पनपते हैं। एडीज मच्छर खुले और साफ पानी में लगभग 16 डिग्री सेल्सियस के आसपास तापमान में अंडे देते हैं। इसके साथ ही डेंगू के मच्छर लिफ्ट और दूसरे साधनों से किसी भी ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं और वहां अंडे देकर बीमारी को फैला सकते हैं। इससे डेंगू ही नहीं बल्कि मलेरिया व चिकनगुनिया जैसी बीमारी की आशंका रहती है। वही मच्छरों को मारने के लिए नगर निगम गंभीर नहीं है। रुक-रुक के बारिश हो रही है, और कई इलाकों में फॉगिंग मशीन का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है। डेंगू के खिलाफ अभियान में सबसे बड़ा रोल हाइ रिस्क वाले इलाकों का है। लेकिन जब इन इलाकों की पड़ताल की गयी, तो पता चला कि स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के अफसरों के दावे सिर्फ हवा में हैं। लेकिन इससे लोगों की जान पर बन आयी है। स्थानीय लोग डेंगू के प्रकोप से परेशान हैं।
पटना में अब तक मिले 128 मरीज
पिछले सप्ताह जिले में सबसे अधिक 14 डेंगू के मरीज मिले थे। जानकारी के अनुसार रामकृष्ण नगर, अशोक नगर, बिस्कोमान कॉलोनी, कुम्हरार, पटना सिटी, कंकड़बाग, चित्रगुप्त नगर, बहादुरपुर, बाजार समिति, सैदपुर, मालसलामी, महेंद्रू, रामनगरी, रूपसपुर, आरपीएस मोड़, गोला रोड, दानापुर, शास्त्री नगर, पटेल नगर, पुनाईचक, दानापुर, पाटलिपुत्र आदि मोहल्लों में डेंगू का प्रकोप है। इन मोहल्लों से डेंगू के पीड़ित मिलने लगे हैं। सूत्रों की माने तो सरकारी के अपेक्षा प्राइवेट अस्पताल में सबसे अधिक डेंगू के मरीज भर्ती किये गये हैं। इनमें अधिकांश अस्पतालों ने अपने हॉस्पिटल का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध नहीं कराया गया है।