10 हजार किसान कर रहे हरी खाद की खेती

Update: 2023-04-26 08:30 GMT

गोपालगंज न्यूज़: जिले में हरी खाद की खेती करने का सिलसिला बढ़ रहा है. गत वर्ष की तुलना इस बार हरी खाद मसलन मूंग की खेती करने वाले किसानों की संख्या में इजाफा हुआ है.

गत वर्ष जिले के करीब 7 से 8 हजार किसानों ने हरी खाद मूंग की खेती 5 से 6 हजार हेक्टेयर जमीन में की थी. लेकिन इस बार इसका दायरा बढ़कर किसानों की संख्या 10 हजार से अधिक हो गया है. साथ ही खेत का रकबा भी 75 सौ हेक्टेयर तक जा पहुचा है. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब तक जिले के 10 हजार से अधिक किसानों के बीच 75 प्रतिशत अनुदान पर 15 सौ क्वींटल मूंग का बीज बांटा गया है.

किसानों ने इसे 75 सौ हेक्टेयर जमीन में लगाया है. खेतों में हरी खाद की फसल लहलहा रही है. किसानों को इस फसल से अच्छा उत्पादन व भरपूर हरी खाद मिलने की उम्मीद है. किसान सुमंत सिंह, सुनील दुबे, रामजन्म सिंह, संजय सिंह, अजय सिंह, रमावती देवी, पवित्री देवी, कोमली देवी, मनोज सिंह, मनीष, दिलीप तिवारी, नीलकमल सिंह, योगेन्द्र यादव, विश्वकर्मा साहनी, संतोष, प्रीतम, ददन, मदन राय आदि ने बताया कि उन्होंने मूंग की खेती की है. इसकी फली को तोड़ कर हरी खाद की खेती करेंगे, जिससे खेतों की भूमि को कई तरह के पोषक तत्व मिलेंगे. इसके कई फायदे हैं. उपज बढ़ने के साथ आमदनी बढ़ेगी. अनाज में स्वाद और मिठास होगा. पिछले साल भी इसकी खेती की गई थी. इससे खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ रही है, जिससे उपज में वृद्धि हुई है.

1 लाख 11 हजार हेक्टेयर जमीन में होती है खरीफ फसल की खेतीजिले के 2 लाख 39 हजार किसान 1 लाख 11 हजार हेक्टेयर जमीन में हर वर्ष खरीफ फसल की खेती करते हैं. करीब 20 से 22 हजार हेक्टेयर जिले की जमीन में मौसमी फल मसलन खीरा, ककड़ी, तरबूज व गरमा सब्जियों की खेती की जाती है.

हरी खाद की खेती से होने वाले 10 फायदे

● नत्रजन, कार्बनिक पदार्थ सहित कई पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं.

● मृदा भुरभुरी, वायु संचार में अच्छी, जलधरण क्षमता में वृद्धि, अम्लीयता, क्षारीयता में सुधार एवं मृदा क्षरण में कमी होती है.

● मृदा में सूक्ष्मजीवों की संख्या एवं क्रियाशीलता बढ़ती है तथा मृदा की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है.

● इसके प्रयोग से रसायनिक उर्वरकों में कमी करके भी टिकाऊ खेती कर सकते हैं.

● मृदाजनित रोगों में भी कमी आती है और मृदा सतह में पोषक तत्वों का संरक्षण.

● मृदा सतह में पोषक तत्वों का एकत्रीकरण, वृद्धि, अधोसतह में सुधा होता है.

हरी खाद के लिए फसल का चयन

● हरी खाद के लिए उगाई जानेवाली फसल का चुनाव भूमि जलवायु तथा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए.

● वैसी फसल जो सूखा अवरोधी के साथ जल मग्नता को भी सहन करती हों.

● रोग व कीट कम लगते हो तथा बीज उत्पादन को क्षमता अधिक हो.

● फसल शीघ्र वृद्धि करने वाली, तना, शाखाएं, पत्तियां कोमल व अधिक हों.

● 22 हजार हेक्टेयर जमीन में मौसमी फल व गरमा सब्जियों की खेती की जाती

● ढैंचा की खेती के लिए किसानों के बीच 170 क्वींटल बीज वितरण किया जाना है

85 सौ हेक्टेयर में होगी ढैंचा की खेती

जिले में ढैंचा की खेती को लेकर तैयारी तेज हो गई है. विभाग ने इस बार 85 सौ हेक्टेयर जमीन में इसकी खेती का लक्ष्य तय किया है. इस फसल की बम्पर खेती के लिए किसानों के बीच 170 क्वींटल बीज वितरण किया जाना है. विभाग बीज आने का इंतजार कर रहा है. अप्रैल माह के अंतिम व मई माह के शुरुआती सप्ताह में इसकी खेती शुरू होने की संभावना है.

हरी खाद से मृदा की भौतिक, रसायनिक व जैविक दशा में होता सुधार होता है व अगली फसल में प्रति हेक्टेयर 50 किलो ग्राम नेत्रजन की बचत होती है. -डॉ. राजेन्द प्रसाद, कृषि वैज्ञानिक , पूसा

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