सुशील मोदी बोले- 'तेजस्वी यादव ने किया राष्ट्रपति का अपमान', RJD ने दिया जवाब – दलित भावना को आहत किया
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी (Sushil Modi) ने एकबार फिर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर निशाना साधा है
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी (Sushil Modi) ने एकबार फिर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर निशाना साधा है. बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह ता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के शामिल नहीं होने पर उन्होंने इसे राष्ट्रपति का अपमान बताया है, सुशील मोदी ने ट्वीट कर लिखा है राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द (President Ramnath Kovind) का आना राज्य के लिए गौरव की बात है। वे बिहार के राज्यपाल रह चुके हैं। उनकी गरिमामय उपस्थिति वाले समारोह में अनुपस्थित रहकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अनुसूचित जाति से आने वाले एक अतिशालीन व्यक्ति का अपमान किया है
सुशील मोदी ने कहा कि इससे पूर्व में भी वो नीतीश सरकार के शपथ-ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे. इससे स्पष्ट होता है कि तेजस्वी यादव को संवैधानिक दायित्व को निभाने में यकीन नहीं रखते हैं. सुशील मोदी ने जहां ट्वीट कर अपनी बात कही वही इस संबंध में एक बयान भी जारी किया है
राष्ट्रीय जनता दल में संसदीय आचरण का अभाव
मोदी ने कहा कि आज के और भावी जन-प्रतिनिधियों को यह जानना चाहिए कि उनके पुरखों ने बिहार को आधुनिक बनाने के लिए किस तरह के फैसले लिए. इस सदन के सदस्यों की संख्या यदि 1952 में 330, 1956 में 318, 1977 में 324 और वर्ष 2000 में 243 हो गई, तो उसकी परिस्थितियों से नई पीढी को अवगत होना चाहिए.विधानसभा का शताब्दी समारोह संसदीय राजनीति में बिहार के योगदान को याद करने का स्वर्णिम अवसर है. इसके साथ ही सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि सदन की कार्यवाही में बाधा डालना, सदन के भीतर मारपीट करना, आसन की अवहेलना करना और सरकार के जवाब का बहिष्कार करना राजद के संसदीय आचरण का स्वभाव बन चुका है.
सुशील मोदी की ट्वीट से दलितों की भावनाएं आहत
तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति पर बीजेपी नेता सुशील मोदी के ट्वीट को आरजेडी ने दलित विरोधी बताया है. पार्टी के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने मोदी के ट्वीट को दलित विरोधी मानसिकता की उपज बताया है. और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा है. उन्होंने कहा कि अपने दलित विरोधी सोच और संस्कार की वजह से ही सुशील मोदी जैसे लोग देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे हुए महान व्यक्तित्व को भी उसके जातीय परिधि से बाहर नहीं देखना चाहते
राजद प्रवक्ता ने कहा कि देश के सर्वोच्च सम्मानित पद को जाती के संकुचित दायरे में बांध कर सुशील मोदी जी ने न केवल राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का काम किया है बल्कि उनके इस आचरण से दलितों की भावनाएं भी आहत हुई है