असम के मुख्यमंत्री ने ऐसा क्यों कहा- मदरसा शब्द का अस्तित्व समाप्त होना चाहिए, जानें
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार को ‘पाञ्चजन्य’ पत्रिका की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि ‘मदरसा’ शब्द का अस्तित्व समाप्त हो जाना चाहिए, साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी सरकार का जोर सभी के लिए स्कूलों में ‘सामान्य शिक्षा’ पर है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार को 'पाञ्चजन्य' पत्रिका की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि 'मदरसा' शब्द का अस्तित्व समाप्त हो जाना चाहिए, साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी सरकार का जोर सभी के लिए स्कूलों में 'सामान्य शिक्षा' पर है. हिमंत बिस्व सरमा कार्यक्रम में मौलाना आजाद विश्वविद्यालय हैदराबाद के पूर्व कुलपति के सवालों का जवाब दे रहे थे, जिन्होंने सभी मदरसों को भंग करने और उन्हें सामान्य स्कूलों में बदलने के असम सरकार के फैसले की सराहना की.
असम के मुख्यमंत्री ने कहा, 'जब तक यह शब्द (मदरसा) रहेगा, तब तक बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने के बारे में नहीं सोच पाएंगे. अगर आप बच्चों को बताएंगे कि मदरसों में पढ़ने से वे डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनेंगे, तो वे खुद जाने से मना कर देंगे. आप अपने बच्चों को कुरान पढ़ाएं, लेकिन घर पर. उन्हें मदरसों में भर्ती कराकर, आप उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं.' कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ हिमंत बिस्व सरमा के इस टिप्पणी का स्वागत किया.
'धार्मिक ग्रंथों को घर पर पढ़ाया जा सकता है, लेकिन स्कूलों में नहीं'
हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, साइंस, मैथ्स, बायोलॉजी, बॉटनी, जूलॉजी पर जोर होना चाहिए. स्कूलों में सामान्य शिक्षा होनी चाहिए. धार्मिक ग्रंथों को घर पर पढ़ाया जा सकता है. लेकिन स्कूलों में बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और वैज्ञानिक बनने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए. मौलाना आजाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ने कहा, मदरसों के छात्र बेहद प्रतिभाशाली हैं- वे कुरान के हर शब्द को दिल से याद कर सकते हैं.
'भारत में हर कोई हिंदू था, यहां कोई भी मुस्लिम पैदा नहीं हुआ था'
इसके जवाब में असम के मुख्यमंत्री ने कहा, 'सभी मुसलमान हिंदू थे. कोई भी मुस्लिम (भारत में) पैदा नहीं हुआ था. भारत में हर कोई हिंदू था. इसलिए, यदि कोई मुस्लिम बच्चा अत्यंत मेधावी है, तो मैं उसके हिंदू अतीत को आंशिक श्रेय दूंगा.' आपको बता दें कि साल 2020 में असम सरकार ने 'धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रणाली को सुविधाजनक बनाने' के लिए सभी सरकारी मदरसों को भंग करने और उन्हें सामान्य शैक्षणिक संस्थानों में बदलने का फैसला किया था.
असम के सभी सरकारी वित्त प्राप्त मदरसे सामान्य स्कूलों में तब्दील
इस साल, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम निरसन अधिनियम, 2020 को बरकरार रखा, जिसके तहत राज्य के सभी प्रांतीय (सरकारी वित्त पोषित) मदरसों को सामान्य स्कूलों में परिवर्तित किया जाना था. राज्य द्वारा वित्त पोषित मदरसों को सामान्य स्कूलों में बदलने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए 2021 में 13 लोगों ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने असम सरकार के फैसले को उचित माना.