गौहाटी एचसी का कहना है कि असम सरकार निजी जीवन में "कहर" पैदा करने वाले बाल विवाह पर करती है कार्रवाई

Update: 2023-02-15 12:04 GMT
गौहाटी उच्च न्यायालय ने मंगलवार को असम सरकार द्वारा बाल विवाह पर चल रही कार्रवाई पर कुछ गंभीर सवाल उठाए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 3 फरवरी से भाजपा शासित राज्य में कम उम्र की लड़कियों से शादी करने के आरोप में 3,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गौहाटी उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 आर/डब्ल्यू पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज विभिन्न मामलों में कुछ अभियुक्तों को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि, "यदि शादी कानून का उल्लंघन कर हो रही है, तो कानून अपना कोर्स करें।
न्यायमूर्ति सुमन श्याम ने मौखिक रूप से कहा कि ये मामले लंबे समय से हो रहे हैं और अदालत इस बात पर विचार करेगी कि तत्काल हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है या नहीं। हालांकि इस समय ये मामले हिरासत में पूछताछ के लिए नहीं हैं। जरूरत पड़ने पर अदालत कस्टोडियल को अदालत में पेश होने और उनके बयान दर्ज करने के लिए कहेगी। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय किसी को बरी नहीं कर रहा है और न ही सरकार को बाल विवाह के मामलों की जांच करने से रोक रहा है। इसके अलावा उन्होंने आईपीसी की धारा 376 के तहत लगे आरोपों पर भी सवाल उठाया जबकि रेप का कोई आरोप नहीं है।
न्यायमूर्ति श्याम ने कहा, "ये सभी अजीब आरोप हैं, बिल्कुल अजीब।"
जस्टिस श्याम ने आगे पूछा, "इन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने से आपको क्या मिलता है? या तो उसने उकसाया है या उसने नहीं किया है। यह बाल विवाह का मामला है या नहीं। उसके लिए क्या हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है? इसके पीछे क्या विचार है?"
आगे उन्होंने कहा, "केवल इसलिए कि POCSO को जोड़ा गया है, क्या इसका मतलब यह है कि जज यह नहीं देखेंगे कि इसमें क्या है?" उन्होंने राज्य को कानून के अनुसार आगे बढ़ने, चार्जशीट दायर करने, दोषी होने पर उन्हें दोषी ठहराने और लगातार गिरफ्तारियों से उनके बच्चों, परिवार के सदस्यों और बुजुर्गों के निजी जीवन में कहर बरपाने को कहा।
14 फरवरी तक बाल विवाह के 4225 मामले दर्ज कर कुल 3031 लोगों को पकड़ा जा चुका है। यह कार्रवाई 3 फरवरी को 4,004 प्राथमिकी के साथ शुरू हुई थी। न्यायमूर्ति श्याम ने अतिरिक्त लोक अभियोजक डी दास से कहा कि राज्य सरकार के पास जेलों में जगह तक नहीं है और सुझाव दिया कि प्रशासन को बड़ी जेलें बनानी चाहिए।
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