असम: 64 फीसदी अल्पसंख्यक वोटों वाली नगांव सीट पर दिलचस्प त्रिकोणीय मुकाबला

Update: 2024-04-25 16:20 GMT
नगांव: दूसरे चरण के चुनाव में असम की नगांव सीट पर मुकाबला काफी दांव पर माना जा रहा है। यहां शुक्रवार को मतदान होना है. दरअसल, यहां इसे त्रिकोणीय मुकाबला बताया जा रहा है. समीकरण भी ऐसे हैं कि कहा नहीं जा सकता कि ऊंट किस करवट बैठेगा. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बीजेपी, कांग्रेस और एआईयूडीएफ के उम्मीदवारों के लिए जमकर प्रचार किया था. खास बात यह है कि परिसीमन के बाद इस सीट पर 64 फीसदी अल्पसंख्यक वोट हैं. इस मामले में हर प्रत्याशी यही कह रहा है कि अल्पसंख्यक उस प्रत्याशी के साथ हैं. एएनआई ने भी तीनों उम्मीदवारों से बात कर इस समीकरण को समझने की कोशिश की. नगांव सीट पर बीजेपी की ओर से सुरेश बोरा मैदान में हैं , जबकि कांग्रेस से मौजूदा सांसद प्रद्युत बोरदोलोई एक बार फिर किस्मत आजमा रहे हैं. एआईयूडीएफ ने यहां अमीनुल इस्लाम को मैदान में उतारा है, वह अल्पसंख्यक समुदाय से एकमात्र उम्मीदवार हैं जो कह रहे हैं कि उन्हें अल्पसंख्यक वोट मिलेंगे । एएनआई ने बीजेपी प्रत्याशी सुरेश बोरा से बात की . सुरेश बोरा ने कहा, "बीजेपी विकास को लेकर मतदाताओं के पास जा रही है. यह सबसे अहम मुद्दा है. लोकसभा सीट पर 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं."
भाजपा प्रत्याशी सुरेश बोरा ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा जनता के लिए किया गया कार्य बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए सबका साथ सबका विकास का संदेश घर-घर तक पहुंचा है। सुरेश बोरा ने कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा ने असम में बहुत काम किया है और अल्पसंख्यक भाई-बहन समझ गए हैं कि विकास का मुद्दा महत्वपूर्ण है, इसलिए वे भाजपा के साथ हैं। इस सीट पर कांग्रेस से मौजूदा सांसद प्रद्युत बोरदोलोई चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि परिसीमन से कांग्रेस को नुकसान हुआ है. एएनआई से बातचीत में उन्होंने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि एआईयूडीएफ बीजेपी की बी टीम है. जिससे कांग्रेस के वोट कटते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा समाज को बांटने की राजनीति करती है. उन्होंने कहा कि 2019 में जनता ने उन्हें सांसद चुना. उन्होंने कहा, ''हम उस राजनीति के खिलाफ हैं जो समाज को बांटती है.''
एएनआई ने एआईयूडीएफ उम्मीदवार अमीनुल इस्लाम से बात की । अमीनुल इस्लाम ने कहा कि वह अल्पसंख्यकों की समस्या और उनके नागरिकता अधिकार को लेकर उठाए गए मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों को उनके अधिकार नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा कि नगांव में एक भी केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है . इसके अलावा किसानों का मुद्दा भी बेहद अहम है.
अमीनुल इस्लाम ने कहा कि हमारी पार्टी सीएए लागू नहीं होने देगी. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी के बीजेपी की बी टीम होने के आरोप पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी झूठ बोलते हैं. बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर वह कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे थे. आपको बता दें कि नगांव लोकसभा क्षेत्र में 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं , जिनमें से 64 फीसदी अल्पसंख्यक वोट हैं. यहां पिछले दिनों 83 फीसदी वोटिंग का रिकॉर्ड रहा है. जिसका आंकड़ा इस बार बढ़ने की भी उम्मीद है. 2019 से पहले नगांव को बीजेपी का गढ़ कहा जाता था. लेकिन 2019 में कांग्रेस के प्रद्युत बोरदोलोई ने जीत हासिल की थी. अब भले ही तीनों पार्टियां अपने-अपने दावे कर रही हों, लेकिन देखना यह है कि जनता किस पर भरोसा करती है। शुक्रवार को प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो जाएगा. (एएनआई)
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