चीन की नई चाल! अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर दोगुने से ज्यादा हुई PLA गश्त, भारत की कैसी है तैयारी?
नई दिल्ली: भारत एक ओर जहां सीमा विवाद सुलझाने की कोशिशों में लगा है, वहीं चीन नापाक हरकतों को अंजाम दे गतिरोध को और बढ़ाता ही जा रहा है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पिछले साल लद्दाख सेक्टर में भारत के साथ जारी गतिरोध के बाद अरुणाचल प्रदेश के संवेदनशील इलाकों में गश्त तेज कर दी है। हिन्दुस्तान टाइम्स को मिले डेटा से पता चलता है कि चीन की पीएलए ने सैन्य गतिविधियों की निगरानी के लिए फॉरवर्ड इलाकों में सीनियर चीनी सेना अधिकारियों के दौरे में उल्लेखनीय वृद्धि की है और नए शामिल किए गए सैनिकों की निगरानी और उनके ओरिएंटेशन के लिए क्षेत्र में एरिया डॉमिनेशन पेट्रोलिंग तेज कर दी है।
उत्तर-पूर्व में चीनी गतिविधियों की निगरानी करने वाले तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जिन क्षेत्रों में भारतीय सेना ने पीएलए की बढ़ी हुई परिचालन गतिविधि का पता लगाया है, उनमें लुंगरो ला, जिमीथांग और बुम ला शामिल हैं, ये सभी पूर्वी क्षेत्र में चीनी आक्रमण के संदर्भ में ऐतिहासिक महत्व के उच्च क्षेत्र हैं। हालांकि, चीन के किसी भी हिमाकत का जवाब देने और उससे निपटने के लिए भारत की तैयारी को बढ़ावा देने के लिए काउंटर उपाय किए गए हैं।
लुंगरो ला सेक्टर में नवीनतम घटनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करने के लिए भारतीय सेना द्वारा तैयार एक गतिविधि मैट्रिक्स में दिखाया गया है कि पीएलए ने जनवरी 2020 से अक्टूबर 2021 तक क्षेत्र में 90 गश्त की, जबकि जनवरी 2018 से दिसंबर 2019 तक यह आंकड़ा 40 था। चीनी सेना के गश्त की संख्या के दोगुने से अधिक होने के लिए सेना द्वारा "करंट ऑपरेशनल सिचुएशन" को जिम्मेदार ठहराया गया है। बता दें कि हिन्दुस्तान टाइम्स ने गतिविधि मैट्रिक्स की समीक्षा की है।
क्षेत्र में तैनात अधिकारियों के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में एलएसी के साथ दोनों ओर लंबी दूरी की गश्त की अवधि एक सप्ताह से चार सप्ताह तक हो सकती है। गतिविधि मैट्रिक्स शो के आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद से वर्चस्व वाले इलाकों में चीनी सेना की गश्ती बढ़ गई है। 2018-19 के दौरान जहां गश्ती की संख्या 10 थी, वहीं 2020-21 (सितंबर त) 35 हो गई है।
एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सैनिकों द्वारा खाली और दूरदराज के इलाकों में एक सामान्य गश्ती की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विरोधी द्वारा कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है और इसमें भौतिक उपस्थिति से क्षेत्र को चिह्नित करना शामिल होता है, जबकि एरिया डोमिनेशन पेट्रोलिंग यानी क्षेत्र वर्चस्व गश्ती, इलाके पर नियंत्रण और दुश्मन द्वारा किसी भी गतिविधि को दबाने के उद्देश्य से होता है।