MGNREGA बिल: आंध्र हाई कोर्ट ने सिंगल जज के आदेश पर लगाई रोक
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सोमवार को एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें सरकार को मनरेगा ठेकेदारों के लंबित बिलों का 12% प्रति वर्ष ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सोमवार को एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें सरकार को मनरेगा ठेकेदारों के लंबित बिलों का 12% प्रति वर्ष ब्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।
आदेशों पर रोक लगाते हुए, खंडपीठ ने कहा कि सरकार के दावों की विस्तृत जांच की आवश्यकता है कि नरेगा कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं और इसीलिए बिलों को लंबित रखा गया।
मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एन जयसूर्या की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेशों पर रोक लगाते हुए अंतरिम आदेश जारी किए। गौरतलब है कि नरेगा कार्यों से संबंधित लंबित बिलों का भुगतान नहीं करने के लिए सरकार के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थीं। न्यायमूर्ति बी देवानंद ने पिछले साल अक्टूबर में सरकार को बिलों का ब्याज सहित तत्काल भुगतान करने का आदेश जारी किया था।
इसे सरकार ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। महाधिवक्ता एस श्रीराम ने अदालत को सूचित किया कि नरेगा कार्यों की सतर्कता जांच में अनियमितताएं सामने आई हैं और इसीलिए बिलों को लंबित रखा गया है। पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 19 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की।