पुलिस एनकाउंटर में मारे गए गैंगरेप के चार आरोपी, क्या एनकाउंटर फेक? SC आयोग ने उठाए सवाल

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Update: 2022-05-20 15:56 GMT

हैदराबाद में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए गैंगरेप और हत्या के चार आरोपियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए जांच आयोग ने चौंका देना वाला दावा किया है. आयोग ने कहा है कि आरोपियों को मारने के इरादे से जानबूझकर उनपर गोली चलाई गई थी.

'पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए'
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त आयोग ने आज कहा कि तेलंगाना के हैदराबाद में हुए इस एनकाउंटर में चार में से तीन आरोपी नाबालिग थे. जबकि हैदराबाद पुलिस ने दावा किया था कि तीनों 20 साल के थे. आयोग ने मामले की जांच में गंभीर चूक की ओर इशारा किया. साथ ही सिफारिश की कि 10 पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाए.
नाबालिग आरोपियों का एनकाउंटर?
रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमारे विचार से, आरोपियों को जानबूझकर उनकी हत्या के इरादे से गोली मारी गई थी. हमारी राय है कि प्रासंगिक समय में, जोलू शिवा, जोलू नवीन और चिंताकुंटा चेन्नाकेशवुलु नाबालिग थे.' चारों आरोपियों मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंटा चेन्नाकेशवुलु, जोलू शिवा और जोलू नवीन को नवंबर 2019 में एक पशु चिकित्सक के साथ गैंगरेप और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
गैंगरेप के बाद मर्डर
पुलिस ने दावा किया था कि 27 नवंबर, 2019 को महिला पशु चिकित्सक का अपहरण किया गया था, उसका यौन उत्पीड़न किया गया था और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी. इसमें कहा गया था कि आरोपियों ने बाद में महिला के शरीर को जला दिया था.
मामला तेलंगाना हाई कोर्ट ट्रांसफर
सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद में पशु चिकित्सक से गैंगरेप और हत्या के मामले में चार आरोपियों के एनकाउंटर में मारे जाने पर तीन सदस्यीय जांच आयोग की सीलबंद कवर रिपोर्ट साझा करने का आज शुक्रवार को आदेश दिया. मामले को तेलंगाना हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया.
छह महीने में सौंपनी थी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 3 अगस्त को पूर्व न्यायाधीश वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में आयोग को छह महीने का विस्तार दिया था. ताकि मामले में चार आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने पर अंतिम रिपोर्ट दाखिल की जा सके. एनकाउंटर की परिस्थितियों की जांच करने के लिए 12 दिसंबर, 2019 को सिरपुरकर पैनल का गठन किया गया था और छह महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी. आयोग के अन्य सदस्यों में बंबई हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदूर बलदोता और सीबीआई के पूर्व निदेशक डीआर कार्तिकेयन भी शामिल हैं. जांच पैनल का कार्यकाल अब तक तीन बार बढ़ाया जा चुका है. इसे पहली बार जुलाई 2020 में छह महीने के लिए बढ़ाया गया था.
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