पूर्व CM नायडू ने कहा- 'विशेष राज्य के दर्जा के लिए सामूहिक इस्तीफा दें YSRCP के सांसद'
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है.
आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगू देशम पार्टी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) ने राज्य की सत्तारुढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए सांसदों को मिलकर इस्तीफा दे देना चाहिए.
पूर्व मुख्यमंत्री नायडू ने मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी पर हमला करते हुए कहा कि जब वह विपक्ष में थे तब उन्होंने कहा था कि अगर सभी 25 लोकसभा सांसदों ने इस्तीफा दे दिया तो केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दे सकती है. चंद्रबाबू नायडू स्पेशल राज्य को लेकर लगातार मुखर रहे हैं.
बंटवारे के समय से ही की जा रही मांग
टीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि जगनमोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बनने के बाद यू-टर्न लेते हुए कहने लगे कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा में पर्याप्त संख्या में सीट जीतकर आई है और केंद्र सरकार को बचाने के लिए उसे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के समर्थन की कोई जरुरत नहीं रह गई है. हालांकि हम केंद्र से विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए सिर्फ अनुरोध ही कर सकते हैं.
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग आज से नहीं की जा रही है बल्कि यह तब से ही शुरू हो गई थी, जब से राज्य का बंटवारा हुआ और तेलंगाना इससे अलग हो गया. 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऐलान किया था कि आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य को 5 साल के लिए विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया जाएगा. तभी से इसके आंध्र प्रदेश लगातार अपनी मांग को समय-समय पर दोहराता रहा है.
किसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा
स्पेशल कैटेगरी स्टेटस अथवा विशेष राज्य का दर्जा सबसे पहले साल 1969 में दिया गया था. इस दौरान 5वें वित्तीय आयोग ने यह तय किया था कि उन राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से विशेष सहयोग दिया जाएगा, जो पिछड़े हैं.
केंद्र की ओर से किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर कुछ मानक तय किए गए हैं, जैसे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र वाला राज्य हो. कम आबादी वाले राज्यों के साथ ही उन राज्यों को भी सुविधा मिलती है, जहां आदिवासी जनजातियों की अच्छी-खासी आबादी बसती हो. अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे राज्य हों या फिर वित्तीय तथा ढांचागत विकास के मामले में पिछड़े हों.
विशेष राज्य का दर्जा हासिल करने वाले राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से कई विशेष सहयोग प्रदान किए जाते हैं. इन स्पेशल राज्यों को केंद्र की ओर से मिलने वाले सहयोग और कर में दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा छूट मिलती है. विशेष राज्य को 90 प्रतिशत केंद्रीय अनुदान हासिल होता है जबकि बाकी 10 फीसदी ब्याजमुक्त कर्ज के रूप में.