विजयवाड़ा (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी को झटका देते हुए एनआईए अदालत ने मंगलवार को विशाखापत्तनम हवाईअड्डे पर उन पर 2018 में चाकू से किए गए हमले की गहन जांच के लिए उनकी ओर से दायर याचिका खारिज कर दी।
जगन मोहन रेड्डी के वकील द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने मामले में व्यक्तिगत पेशी से छूट की मांग वाली मुख्यमंत्री की एक अन्य याचिका पर सुनवाई 1 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होने की इजाजत दी जाए।
अदालत ने आरोपी जे. श्रीनिवास राव की जमानत याचिका भी 1 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
चार साल से अधिक समय से जेल में बंद आरोपी ने जमानत पर रिहाई की मांग की। वह फिलहाल राजामहेंद्रवरम सेंट्रल जेल में बंद हैं।
अप्रैल में राष्ट्रीय जांच (एनआईए) ने अदालत को बताया कि चाकू से हमले के पीछे कोई साजिश नहीं थी। एनआईए ने जगन मोहन रेड्डी की याचिका पर जवाबी हलफनामा दायर किया था, जिसमें मामले की आगे की जांच की मांग की गई थी।
एजेंसी ने अदालत को बताया कि एयरपोर्ट रेस्तरां के मालिक हर्षवर्द्धन किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं थे। 25 अक्टूबर, 2018 को विशाखापत्तनम हवाईअड्डे पर रेस्तरां के एक कर्मचारी श्रीनिवास राव ने जगन मोहन रेड्डी पर 'कोडी कट्टी' या मुर्गों की लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले छोटे चाकू से हमला किया था।
उस समय विपक्ष के नेता जगन मोहन रेड्डी की बांह पर चोट लगी थी।
इससे पहले एनआईए कोर्ट ने जगन मोहन रेड्डी को पेश होकर अपना बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, उन्होंने इस आधार पर व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी कि उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है और इस आधार पर भी कि अदालत में उनके पेश होने से अदालत परिसर के आसपास यातायात जाम हो सकता है और इससे लोगों को असुविधा हो सकती है।
उन्होंने अदालत से अपना बयान दर्ज कराने के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने का अनुरोध किया था।
हमले के बाद तत्कालीन तेदेपा सरकार ने मामले को राज्य पुलिस की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंप दिया था, लेकिन जगन मोहन रेड्डी ने यह कहते हुए अपना बयान दर्ज कराने से इनकार कर दिया था कि उन्हें राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित एजेंसियों पर कोई भरोसा नहीं है।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने तेदेपा द्वारा साजिश रचे जाने का संदेह करते हुए मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग करते हुए राज्य उच्च न्यायालय का रुख किया था। अदालत के निर्देश के आधार पर केंद्र ने 31 दिसंबर, 2018 को मामला एनआईए को सौंप दिया था और एजेंसी ने 1 जनवरी, 2019 को मामला दर्ज किया था।