मंदी के दौर में और मज़बूत हो सकती है आपकी आर्थिक स्थिति

Update: 2023-04-29 17:39 GMT
अगर आप पिछले कुछ समय से नौकरी तलाश रहे होंगे तो आपने महसूस किया होगा कि मार्केट में नौकरियां कम हो रही हैं. जहां जॉब कर रहे होंगे वहां मामूली इंक्रिमेंट ने दिल खट्टा कर दिया होगा. सरकार देश के आर्थिक आंकड़े चाहे जो भी बताए, लेकिन सच तो यह है कि जॉब मार्केट में मंदी का दौर चल रहा है. मंदी के चलते चिंता के बादल मंडराने स्वाभाविक हैं, पर छोटी-छोटी सावधानियों से आप इस बुरे वक़्त में और भी मज़बूत बनकर उभरेंगे. आइए जानें, मंदी में आर्थिक मज़बूती पाने के प्रैक्टिकल तरीक़े.
मंदी यानी निवेश के लिए सही समय
एक तरफ़ नौकरी पर तलवार लटक रही है, दूसरी ओर बाज़ार नए-नए सामानों से भरता जा रहा है. बेशक, आप उन अलग-अलग तरह की चीज़ों के प्रति आकर्षित होंगे. ऐसे में ज़रूरी है अपने मन पर थोड़ा नियंत्रण, क्योंकि यह पैसे ख़र्च करने का नहीं, उन्हें बचाने या कहें निवेश करने के लिए बेहतरीन समय है.
अब बस इतना पढ़कर निवेश करने के विकल्प तलाशना शुरू न करें. ठंडे दिमाग़ से साल भर की फ़ायनैंशियल प्लैनिंग कर लें, क्योंकि जल्दबाज़ी या किसी ट्रेंड को ध्यान में रखकर लिए गए निर्णय अक्सर नुक़सानदेह होते हैं. निवेश करने से पहले मेडिकल इंश्योरेंस कराना, इमर्जेंसी फ़ंड में पैसे जमा करना और रेग्युलर ख़र्चों के लिए पैसे साइड में रखना न भूलें.
निवेश का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि अतिरिक्त नगद से कुछ प्रमुख स्टॉक्स ख़रीदें और उन्हें बेचने से पहले तक़रीबन 15 महीने तक इंतज़ार करें. स्टॉक्स बेचने की जल्दबाज़ी न करें. दरअस्ल, जब मंदी का माहौल होता है, मार्केट नीचे गिरने लगता है, तब लोग निवेश करने से डरते हैं. जबकि होना यह चाहिए कि उस समय क़ीमतें कम हैं तो अधिक से अधिक स्टॉक ख़रीद लें.
हां, मार्केट में निवेश करने से पहले स्टडी कर लें. उन कंपनियों में निवेश करें, जिनके अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना हो. शेयर्स बेचने के लिए कम से कम 12 से 15 महीने तक इंतज़ार करने के लिए तैयार रहें, अगले तीन-चार महीने में ही लाभ कमाने की आशा न रखें. यह बात याद रखें कि आमतौर पर आमदनी का 25 प्रतिशत तक स्टॉक्स में निवेश करना ठीक रहता है. उससे अधिक पैसा मार्केट में लगाना रिस्की हो सकता है.
इमर्जेंसी फ़ंड की अहमियत को नज़रअंदाज़ न करें
यदि आपकी नौकरी की ‌स्थिति डांवाडोल हो तो सबसे पहले अपने छह महीनों के ख़र्च के लिए आवश्यक पैसे जमा कर लें. अतिरिक्त कैश को लिक्विड/लिक्विड प्लस फ़ंड में निवेश करें.
तीन से छह महीने के ख़र्च के लिए आवश्यक पैसे बैंक में जमा रखने से आप किसी भी अचानक आए आर्थिक संकट का सामना कर सकते हैं. पर एक सवाल अब भी है कि इमर्जेंसी फ़ंड में पैसे कितने होने चाहिए? इस फ़ंड में तीन से छह महीने तक की हर छोटी-बड़ी ज़रूरत को पूरा करने लायक रकम होनी चाहिए. मसलन-किराया/ ईएमआई, फ़ोन, बिजली, इंटरनेट आदि के बिल.
ऐसे में जब नौकरियां सुरक्षित नहीं रह गई हैं, अलग से हेल्थ इंश्योरेंस कराना बुद्धिमानी है, क्योंकि यदि आपकी नौकरी छूट भी जाती है तो भी आप मेडिकल इमर्जेंसी का सामना कर सकेंगे.
इमर्जेंसी फ़ंड जमा करने के बाद भी आपके पास अतिरिक्त रकम बचे तो क्या करना चाहिए? बाज़ार में खरीदारी के अच्छे अवसर आते रहेंगे, अत: उनका सही फ़ायदा पाने के लिए आपके पास कुछ पैसे ज़रूर होने चाहिए. आमतौर पर लोग अपना पैसा सेविंग अकाउंट में ही रहने देते हैं, जहां पैसा बेहद मामूली ब्याज दर पर जंग खाता रहता है. जबकि यदि उस पैसे को लिक्विड अथवा लिक्विड प्लस फ़ंड में निवेश किया जाए तो 8 से 9 प्रतिशत की दर से ब्याज मिल सकता है, साथ ही ज़रूरत पड़ने पर पैसे को आसानी से निकलवाया भी जा सकता है.
पहचानें अच्छी और बुरी देनदारी में फ़र्क़ और बुरी देनदारी से निपटें
देनदारी से मुक्ति के लिए सबसे पहले उनकी लिस्ट बनाएं, अच्छी और बुरी देनदारियों में फ़र्क करना सीखें. होम लोन एक अच्छी देनदारी है जबकि क्रेडिट कार्ड अच्छी देनदारी नहीं हैं. देनदारी का अच्छा या बुरा होना ब्याज दरों पर निर्भर करता है. क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन की तुलना में होम लोन पर बहुत कम ब्याज चुकाना पड़ता है. इसीलिए क्रेडिट कार्ड की बकाया देनदारी से तुरंत छुटकारा पाना चाहिए. क्रेडिट कार्ड के बकाया भुगतान पर ब्याज की दर लगभग 45 प्रतिशत वार्षिक होती है. इसका ब्याज चुकाने पर होने वाला ख़र्च निश्चित होता है. जबकि स्टॉक्स या रीयल इस्टेट में निवेश करने पर मिलनेवाला रिटर्न निश्चित नहीं होता. इसलिए जल्द-से-जल्द इस देनदारी से मुक्ति पाएं.
यदि आप क्रेडिट कार्ड का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं तो भी सावधान हो जाएं. अच्छे निवेश के बावजूद क्रेडिट कार्ड का बकाया भुगतान आपके संभावित लाभ को कम कर सकता है. क्रेडिट कार्ड से आपके निवेश की सेहत न ख़राब हो इसलिए इन तीन बातों का ध्यान रखें. पहली-न्यूनतम देय से अधिक भुगतान करें, दूसरी-बकाया रकम घटाने के लिए नकद भुगतान करें और तीसरी-क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग कम-से-कम करें.
मंदी में बड़ी ख़रीदारी से बचें
यह वक़्त सिर्फ़ समझदारी के सौदों का है. आपको बड़ी ख़रीदारी का प्लैन फ़िलहाल रद्दय कर देना चाहिए. अगर करना ही पड़े तो मोलभाव ज़रूर करें, जिस तरह कोई चीज़ ख़रीदना आपकी मजबूरी है, उसी तरह उस सामान को बेचना सामने वाले की भी ज़रूरत हो सकती है. लेकिन बेहतर तो यही होगा कि इस समय बड़ी ख़रीदारी, जैसे-महंगे घरेलू उपकरण व कार की ख़रीदारी, घर इत्यादि का रिनोवेशन और छुट्टी मनाने की प्लैनिंग को आगे के लिए टालने में ही समझदारी है. लाख कोशिशों के बावजूद बड़ी ख़रीदारी आपकी मजबूरी बन गई हो तो इन बातों का ध्यान रखें, मसलन-घर का रिनोवेशन उस स्थिति में करा सकते हैं, यदि ऐसा करने से आपके घर की क़ीमत बढ़ती हो. लेकिन रिनोवेशन केवल तभी कराएं, जब ऐसा करना अति आवश्यक हो, क्योंकि प्रॉपर्टी की क़ीमत कितनी बढ़ेगी यह सही-सही बता पाना मुश्क़िल है. वहीं कार केवल तब ही ख़रीदें, यदि आप के लिए कार आवश्यकता बन गई हो. ऐसे में भी आप कम-से-कम साल भर के लिए किसी सेकंड-हैंड कार से काम चलाने की कोशिश करें. बाद में अच्छा मौक़ा आने पर पसंदीदा कार ख़रीदें. अगर आप दूसरा एसी लेने की सोच रहे हैं तो थोड़ा सब्र करें. बजाय एसी लेने के अतिरिक्त रकम को कहीं निवेश करने में समझदारी है.
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