World IVF Day: इन्फर्टिलिटी के प्रमुख कारण क्या हैं? जानिए

इनफर्टिलिटी विश्व स्तर पर लगभग 15 प्रतिशत जोड़ों को प्रभावित करता है।

Update: 2021-07-25 15:22 GMT

नई दिल्ली, World IVF Day: इनफर्टिलिटी विश्व स्तर पर लगभग 15 प्रतिशत जोड़ों को प्रभावित करता है। यहां तक कि भारत जैसे विकासशील देश में भी कई जोड़े इनफर्टिलिटी से जुझ रहे हैं। WHO के अनुसार, भारत में प्रजनन आयु के चार में से एक जोड़े को गर्भ धारण करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि इनफर्टिलिटी के साथ कई तरह के भावनात्मक और सामाजिक कलंक जुड़े हैं, इसलिए अधिकांश जोड़े अपने प्रजनन मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने से हिचकते हैं। जो समय पर निदान और उपचार की संभावना को बाधित करता है.

दुनिया भर के वैज्ञानिक बांझपन के मुद्दों को दूर करने के लिए उपचार खोजने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी सफलता 25 जुलाई, 1978 को इंग्लैंड में लुईस ब्राउन के जन्म के साथ मिली। लुईस ब्राउन, डॉ. पैट्रिक स्टेप्टो और रॉबर्ट एडवर्ड्स व उनकी टीम के वर्षों के प्रयासों के बाद दुनिया में सफल आईवीएफ उपचार के बाद पैदा होने वाली पहली बच्ची थीं।
प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में इस दिन को बेहद बड़ा मना जाता है। इसलिए 25 जुलाई को हर साल विश्व आईवीएफ दिवस के रूप में इसे मनाया जाता है।
इन्फर्टिलिटी के प्रमुख कारण
नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, नई दिल्ली की फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ. अस्वती नायर बताती हैं, "पिछले कुछ सालों से इन्फर्टिलिटी एक प्रमुख और आम स्वास्थ्य समस्या बनके उभरी है, जिससे युवा दंपत्ति सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। फर्टिलिटी एक्सपर्ट के मुताबिक आलस भरी लाइफस्टाइल, खराब खानपान, कम शारीरिक गतिविधि और स्ट्रेस बहुत ज्यादा होने से इन्फर्टिलिटी की समस्या दम्पत्तियों में बढ़ रही है। द इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन की 2019 की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार इन्फर्टिलिटी से भारतीय आबादी का लगभग 10 से 14 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित है, शहरी क्षेत्रों में इन्फर्टिलिटी की समस्या बहुत ज्यादा है। यहां पर छह में से एक दंपत्ति इन्फर्टिलिटी से प्रभावित है। बिना सफलता के एक साल तक गर्भ धारण करने की कोशिश करने के बाद दंपत्ति में इन्फर्टिलिटी का पता चलता है। इन्फर्टिलिटी को बढ़ाने वाले कुछ फैक्टर्स हमारे हाथ में नहीं होते हैं, लेकिन लाइफस्टाइल में बदलाव करने से गर्भधारण करने में मदद मिल सकती है।"
इन्फर्टिलिटी का हल मौजूद लेकिन इलाज काफी महंगा
सीड्स ऑफ इनोसेंस की आईवीएफ एक्सपर्ट और फाउंडर डॉ गौरी अग्रवाल ने कहा, "इन्फर्टिलिटी के केसेस की बढ़ती संख्या सामाजिक असंतोष का कारण बन सकती है। हालांकि विज्ञान द्वारा विकसित इलाज, जैसे असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी), आदि इन्फर्टिलिटी की समस्या को हल कर सकते हैं। हालांकि इस तरह का इलाज महंगा होता है, लोग इस तरह के इलाज में लगने वाले खर्च को नहीं उठा पाते हैं। इस तरह के खर्च को उठाने के लिए दंपत्ति अधिक ब्याज दर के साथ आने वाले पर्सनल लोन का लाभ उठाएं, क्योंकि भारत में कोई भी बीमा कंपनी एआरटी या इससे संबंधित तकनीकों को कवर नहीं करती है। हालांकि हाल ही में भारत में कुछ कंपनियों ने कर्मचारियों को एग-फ्रीजिंग या एग- हार्वेस्टिंग के लिए मेडिकल कवर देने की दिशा में कदम बढ़ाया है क्योंकि अध्ययनों से पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में 6 में से 1 दंपत्ति प्रजनन संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं और उनके लिए इलाज की आवश्यकता होती है। भारत में बीमा कंपनियां द्वारा ऐसे टर्म के लाने से लोग इस वैज्ञानिक चमत्कार यानी इलाज का लाभ उठा सकते हैं और अपनी ज़िन्दगी में खुशियां ला सकते हैं।"
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