वर्किंग पैरेंट्स रखें बच्चों का खयाल, हो सकते हैं साइकॉटिक डिप्रेशन के लक्षण, जानें रोग और उपचार
किसी भी माता-पिता के लिए बच्चों को अच्छी परवरिश देना उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। लेकिन आजकल ये जिम्मेदारी उन पैरेंट्स के लिए थोड़ी और मुश्किल हो जाती हैजहां मां और पिता दोनों वर्किंग होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर वर्किंग पैरेंट्स अपने बच्चों को महंगेखिलौने और अच्छा लाइफस्टाइल तो दिला देते हैं लेकिन पर्याप्त समय नहीं। जिसकी वजह से बच्चे कई बार साइकॉटिक डिप्रेशन का शिकार बन सकते हैं।
क्या है साइकॉटिक डिप्रेशन
बता दें कि साइकॉटिक डिप्रेशन मनोरोग से जुड़ी एक बीमारी हैजिसका समय पर इलाज नहीं मिल पाने पर गंभीर हो सकती है। इस रोग से पीड़ित होने पर बच्चों के मन में नकारात्मक ख्याल आने लगते हैं, उन्हे लगता है कि लाइफ असफलता से घिरी हुई है।
साइकॉटिक डिप्रेशन के मुख्य कारण
दरअसल साइकॉटिक डिप्रेशन का सबसे बड़ा कारण आजकल का लाइफस्टाइल है। जैसे समय पर होमवर्क खत्म करने के साथ पढ़ाई करना। जिसकी वजह से कई बार बच्चा खेलकूद के लिए समय नहीं निकाल पाता है और निगेटिव बातें सोचने लगता है।
जबकि देखा गया है कि जो बच्चे खेलते हैं वो हमेशा खुश रहते हैं, उनका शरीर थकता है और अच्छी नींद आती है। ऐसे में वर्किंग माता-पिता को अपने बच्चों के लिए थोड़ा समय निकालना चाहिएताकि आपके बच्चे अपने मन की बात उनसे शेयर करके खुद को हल्का महसूस करें।
साइकॉटिक डिप्रेशन के लक्षण
-पीड़ित बच्चा अपने ही दोस्तों से जलन करने लगता है।
-पीड़ित बच्चा खुश नहीं रहता है।
-पीड़ित बच्चा खेलना-कूदना बंद कर देता है।
-ऐसे बच्चे किसी से बात नहीं करेंगेबल्कि अकेला रहने के लिए घर में ही अपनी जगह तलाशेंगे।
- -छोटी-छोटी बातों पर भाई-बहन या फिर पैरेंट्स के साथ लड़ेंगे।
-ठीक से पढ़ाई नहीं करेंगे
-खाने पीने में बच्चों का मन नहीं लगेगा
ऐसे करें बचाव
साइकॉटिक डिप्रेशन से बच्चों को बचाए रखने के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपने बच्चों की हर एक्टिविटी पर नजर रखें। अगर ऊपर बताए गए लक्षणों में किसी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत बच्चे के मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए। वैसे ये स्थिति पैदा नहीं होगी अगर आप अपने बच्चों को पर्याप्त समय देते रहेंगे।