मां बनने के 6 महीने तक महिलाओं को डिप्रेशन का सबसे ज्यादा रहता है खतरा
मां बनना किसी भी महिला के लिये सौभाग्य की बात है पर क्या आप जानते हैं कि डिलीवरी के छह महीने तक महिलाएं अक्सर अवसाद का शिकार हो जाती हैं.
मां बनना किसी भी महिला के लिये सौभाग्य की बात है पर क्या आप जानते हैं कि डिलीवरी के छह महीने तक महिलाएं अक्सर अवसाद का शिकार हो जाती हैं. जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है. बच्चे के जन्म के बाद का समय अनगिनत भावनाओं से भरा होता है. महिलाएं खुशी, डर, यहां तक कि दुख तक, कुछ भी महसूस कर सकती हैं. डिलीवरी के बाद भावनात्मक रूप से कमजोर महिलायें इसकी शिकार जल्दी हो जाती हैं. वेबसाइट के अनुसार शरीर में लगातर थकान रहना, एन्जाइटी, नींद ना आना, शिशु के साथ बॉन्ड बनाने में दिक्कत, रोना आना, भूख ना लगना इसके प्रमुख लक्षण हैं.
हेल्थलाइन वेबसाइट के अनुसार यदि उदासी की भावनाएं गंभीर होकर दैनिक जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दें तो आप इसे पीपीडी यानी पोस्टपार्टम डिप्रेशन का संकेत समझ लें. इसके लक्षण आमतौर पर प्रसव के कुछ हफ्तों के भीतर शुरू होते हैं, हालांकि वे छह महीने बाद तक विकसित हो सकते हैं.
बचाव के हैं ये उपाय
अपने खाने का विशेष ध्यान रखें. जंक फूड को बाय-बाय करें और हेल्दी फूड से दोस्ती करें.
अपने नवजात शिशु के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. उसके चेहरे की मुस्कान आपको दुनिया की सबसे बड़ी खुशी देगी.
रोज सुबह की ताज़ी हवा में घूमने की आदत डालें. इससे आप पर्यावरण के संपर्क में आएंगी और डिप्रेशन को अलविदा कहने में सफल हो सकेंगी.
दूसरों के साथ अपनी भावनाओं के बारे में बात करने से आपका मूड बदलने में मदद मिल सकती है. नई माताएं अगर अनुभवी माताओं के साथ नियमित रूप से बात करती हैं तो पीपीडी का स्तर कम होता है.
पीपीडी को दूर करने के लिए योग कारगर उपाय है. योग और ध्यान आपको आंतरिक रूप से मजबूत करता है.
अपने पार्टनर से लें मदद. उन्हें अपने मन की भावनाओं के बारे में बताएं. आपके पार्टनर की अतिरिक्त केयर आपको डिप्रेशन से निकालने में मदद करती है.
बच्चे को अपना दूध जरूर पिलाएं. स्तनपान से आपके मन में मातृत्व के भाव जन्म लेंगे जो किसी भी तरह के डिप्रेशन को खत्म करने का सबसे बढ़िया उपाय है.