क्यों मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य दिवस, जानिए इसकी थीम और इतिहास

वर्ल्ड हेल्थ डे हर साल की तरह इस वर्ष भी 7 अप्रैल को मनाया जा रहा है.

Update: 2021-04-07 01:50 GMT
क्यों मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य दिवस, जानिए इसकी थीम और इतिहास
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वर्ल्ड हेल्थ डे हर साल की तरह इस वर्ष भी 7 अप्रैल को मनाया जा रहा है. इसका मकसद यही है कि दुनिया में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Facilities) तक लोगों की पहुंच हो और लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हों. साथ ही इस दिवस को मनाने का उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य और इससे जुड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श करना भी है. स्वास्थ्य के मुद्दों और समस्याओं के प्रति जागरूकता (Awareness) बढ़ाने के उद्देश्‍य से डब्लूएचओ (WHO) के नेतृत्व में हर साल दुनिया भर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

यह है इसका इतिहास
7 अप्रैल, 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना हुई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन को डब्ल्यूएचओ (WHO) के नाम से जाना जाता हैं. इसका मुख्‍य कार्य विश्व में स्वास्थ्य समस्याओं पर नजर रखना और इसके निवारण में मदद करना है. विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की शुरुआत साल 1950 में हुई थी. इसी वर्ष डब्ल्यूएचओ की पहली विश्व स्वास्थ्य सभा हुई, जिसमें हर वर्ष यह दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य के स्तर को ऊंचा उठाना और इसके प्रति उन्‍हें जागरूक करना है. हर व्‍यक्ति स्‍वस्‍थ रहे और उसे अच्छे इलाज की सुविधा मिल सके. साथ ही लोग जागरूक हों, ताकि दुनिया भर में फैली गंभीर बीमारियों की रोकथाम की जा सके.
यह है इस बार की थीम
इस समय जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से जूझ रही है, ऐसे में अपने स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है. यही वजह है कि इसका महत्‍‍व और भी बढ़ गया है. इस साल वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम है, 'एक निष्‍पक्ष और स्‍वस्‍थ दुनिया का निर्माण' (Building A Fairer, Healthier World) करना. डब्ल्यूएचओ के स्थापना दिवस को हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम निर्धारित की जाती रही है. यह थीम उस खास वर्ष में स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारणों और विषय के आधार पर रखी जाती है. इसके जरिये यह संदेश दिया जाता है कि दुनिया में सभी को न सिर्फ अपने स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूक होना चाहिए, बल्कि सभी तक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं भी पहुंचनी चाहिए.


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