आजकल की बढ़ती प्रतिस्पर्धा में हर माता-पिता अपने बच्चे को सबसे आगे देखना चाहते हैं। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चों के खेलकूद पर पाबंदी लगाते हुए उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं। लेकिन पेरेंट्स की यह गलती बच्चों को बहुत नुकसान पंहुचा सकती हैं क्योंकि बच्चों के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है खेलकूद जिसके बिना इनके बचपन की कल्पना नहीं की जा सकती हैं। पढ़ाई जरूरी है इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन खेलना-कूदना भी उतना ही जरूरी है। अगर स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो खेल बच्चों के विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। आज इस कड़ी में हम आपको खेलकूद से मिलने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आप समझ जाएंगे की आखिर बच्चों के लिए खेलकूद क्यों जरूरी हैं। आइये जानते हैं इन फायदों के बारे में...
आत्मसम्मान में सुधार
कई तरह के खेल खेलने से बच्चों के आत्मसम्मान में सुधार होता है। इससे उनके मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दरअसल जब खेल में आपकी टीम जीत जाती है या आपको कुछ अंक हासिल होते हैं, तो बच्चे के लिए वह बेहद सुखद क्षण होता है। इससे उनमें स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ धैर्य रखने की क्षमता का भी विकास होता है। इसके अलावा वह जीवन में अपने लक्ष्य को लेकर काफी दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते हैं। इससे वह पढ़ाई में भी अच्छे होते हैं।
रहते हैं सेहतमंद
बच्चे सक्रिय रहना पसंद करते हैं। इससे उनकी सेहत अच्छी रहती है। खेलने से बच्चों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और हड्डियों के घनत्व में सुधार करते हैं और कार्डियो-वैस्कुलर फंक्शन को बढ़ाते हैं। इस तरह खेल को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सामाजिक कौशल का विकास
जब आपका बच्चा खेलों में भाग लेता है तो उनमें सामाजिक कौशल का बहुत अच्छा विकास होता है। खेलों के दौरान आपका बच्चा अन्य बच्चों से मिलता है और उनसे बातचीत करता है। यह उसके समाजिक कौशल के विकास में सहायक होता है।
बढ़ती है रचनात्मकता
खेल के दौरान बच्चे अक्सर बड़ों की नकल करते हैं। ऐसे में जब कोई बच्चा ऐसा करता है, तो वह एक तरह से अपनी कल्पना शक्ति को बढ़ा रहा होता है। इस तरह बच्चे खेल के माध्यम से कइ्र तरीकों से सोचना सीखते हैं। एकान्त खेल उतना ही मूल्यवान हो सकता है जितना कि ग्रुप में खेले जाने वाले खेल। यह बच्चों को स्वतंत्रता की एक मजबूत भावना प्रदान करके और रचनात्मकता को बढ़ावा देकर सामाजिक परिस्थितियों के लिए तैयार करने में मदद करता है।
सहनशीलता
खेल खिलाड़ी की सहनशीलता के लिए चुनौती के समान होता है। खेल की गतिविधियों से शारीरिक सहनशीलता बढ़ती है, क्योंकि प्रत्येक गेम आख़िरी तक खेला जाता है जिससे आपका बच्चा सीखता है कि अधिक समय तक गर्मी में कैसे रहा जाता है।
शारीरिक मजबूती आती है
खेलने से बच्चा अंदर से मजबूत बनता है और इससे उनका शारीरिक विकास तेजी से होता है। दरअसल खेलने के दौरान आपके शरीर में तेजी से ऑक्सीजन का संचार होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो सकता है। साथ ही इससे आपके बच्चे का पाचन तंत्र भी अच्छा होता है। ऐसे में वे जो भी खाते हैं, उसका पाचन अच्छे से होता है। इसलिए, उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि इससे उनका मानसिक विकास भी अच्छे से होता है क्योंकि खेलने के दौरान शरीर एंडोर्फिन नामक हार्मोन जारी करता है, जिससे शरीर में सकारात्मक भावना का संचार होता है।
चिड़चिड़ापन कम होता है
नियमित रूप से खेलने से बच्चों में चिंता, तनाव और चिड़चिड़ापन कम हो सकता है। साथ ही उनमें खुशी की भावना और उनका आत्म-सम्मान भी बढ़ता है। खेल के माध्यम से बच्चे जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकने में सक्षम होते हैं।
संचार कौशल में सुधार
यदि आपका बच्चा शर्मीला है और अपने आप में रहता है या दूसरों से बात करने के लिए शर्माता है, तो आपको उसे ऐसा खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे उसके संचार कौशल में सुधार हो सके। अपने साथियों से बात करने से उनका मनोबल बढ़ता है। खेल के दौरान होने वाले द्वंद्व से भी बच्चे अपनी बात रखना सीखते हैं।