मिलेनियल्स के लिए सोशलाइज़िंग का मौक़ा
मिलेनियल्स लाइव एंटरटेन्मेंट का अनुभव लेना चाहते हैं. वे प्रीरिकॉर्डेड शोज़ के बजाय लाइव शोज़ देखने को वरीयता देने लगे हैं. वे कलाकारों से रूबरू होना चाहते हैं. उनसे मिलकर न केवल उनकी कला का लुत्फ़ उठाते हैं, बल्कि उनकी तारीफ़ करते हैं और उनसे प्रेरणा भी लेते है. ऐसे यंगस्टर्स की संख्या बढ़ रही है, जो लाइव कंटेंट की ओर शिफ़्ट हो रही है.
ऐसे कार्यक्रमों में जानकर मिलेनियल्स न केवल परफ़ॉर्मर्स से रूबरू होते हैं, बल्कि अपनी जैसी सोच रखनेवाले दूसरे युवाओं से भी उनका मिलना-जुलना होता है. इससे उनकी सोशल लाइफ़ समृद्ध होती है. इससे सोशलाइज़ेशन के पारंपरिक दायरे भी टूटते हैं. जहां युवा पहले अपने क़रीबी दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने-जुलने को ही सोशलाइज़ेशन मानते थे, वहीं अब अनजानी जगहों, अलग-अलग भाषा और संस्कृति से संबंध रखनेवाले युवाओं के संपर्क में आते हैं. इससे उनका सामाजिक जीवन बेहतर बनता है.
खाने से कहीं ज़्यादा का अनुभव
वहीं इन प्राइवेट क्लब्स में खाने के लिए आनेवाले लोगों को भी मनोरंजन के साथ-साथ अलग-अलग चीज़ें देखने, सीखने और समझने को मिलती हैं. नए पकवान का ज़ायका ही नहीं चखते, बल्कि लाइव फ़ूड काउंटर्स, मॉल्यूक्युलर गैस्ट्रोनॉमी और डिशेज़ के अनूठे प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से उस खानपान की संस्कृति को समझने का मौक़ा मिलता है. लोग रेसिपीज़ में नए बदलाव ट्राय करते हैं. स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ़ उठाते हुए कुछ नया सीखने का अनुभव भला किसे पसंद नहीं आएगा. इसके अलावा एकर्स जैसे प्राइवेट क्लब बैडमिंटन, टेनिस, स्क्वैश, बास्केटबॉल, स्विमिंग जैसी स्पोर्ट व आउटडोर ऐक्टिविटीज़ की सुविधा देते हैं. पूल टेबल्स, किड्स एरिया, जिमनैशियम परिवार के सभी सदस्यों की रुचि का ख़्याल रखते हैं.
ब्राइट है, प्राइवेट क्लब्स का फ़्यूचर
राजेश शेट्टी की मानें तो खानपान और मनोरंजन में अधिक वरायटी की चाहत का यह ट्रेंड बरक़रार रहनेवाला है. और परिवार और मिलेनियल्स आनेवाले समय में इस तरह के प्राइवेट क्लब्स का रुख़ करने जा रहे हैं. लाइव मनोरंजन के बढ़ते डिमांड के चलते इस क्षेत्र में चीज़ें और बेहतर होनेवाली हैं.