अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 1 मई को देश और दुनिया में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य मजदूरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान करना और उनके द्वारा किए गए योगदान को याद करना है. इसके साथ ही हमें मजदूरों के हक और हक के लिए आवाज़ उठानी होगी और शोषण को रोकना होगा. भारत में हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में यह 5 सितंबर को मनाया जाता है. मजदूर दिवस को मई दिवस भी कहा जाता है. आइये जानते हैं इस दिन के इतिहास और महत्व के बारे में.
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस का इतिहास
मजदूर आंदोलन अमेरिका में 1 मई, 1886 को शुरू हुआ था. इस आंदोलन में अमेरिका के मजदूर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे थे, दरअसल उस वक्त मजदूरों से 15-15 घंटे काम करने को कहा गया था. इस आंदोलन के बीच पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चलाईं, जिसमें मजदूरों की जान चली गई, जबकि 100 से ज्यादा मजदूर घायल हो गए.
1 मई को मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है
साल 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक हुई. जिसमें तय किया गया कि हर मजदूर से सिर्फ 8 घंटे काम लिया जाएगा. इसी सम्मेलन में ही 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया साथ ही हर साल 1 मई को अवकाश देने का भी निर्णय लिया गया. अमेरिका में आठ घंटे काम करने वाले कर्मचारियों के नियमन के बाद यह नियम कई देशों में लागू किया गया.
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत कब हुई?
भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1923 को चेन्नई में हुई थी. यह फैसला लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में लिया गया था. इस बैठक को कई संगठनों और सामाजिक दलों का समर्थन मिला. जो मजदूरों पर हो रहे अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.