क्या है लेग्यूम्स को आहार में शामिल करने का सही समय
लेग्यूम्स में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
लेम्यूम्स (legumes) यानि फलिया, जो फलीदार प्लांट्स के सीड्स होते हैं। ये सुपरफूड (Superfood) प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) से रिच हैं। छोले, मटर, सोयाबीन, मूंगफली, रिजका, अल्फालफा शाकाहारियों के लिए प्लांट आधारित पोषण का बेहतरीन विकल्प है। इसे खाने से शरीर बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है। आपको अंदरूनी ताकत प्रदान करने वाले इन खाद्य पदार्थों को आप कई प्रकार से अपनी मील में शामिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं लेग्यूम्स के बारे में 5 मुख्य बातें (Benefits of legumes) ।
इस बारे में हमारी नुट्रिशन एक्सपर्ट टोनऑप से डॉ रूचि सोनी बता रही हैं कि लेग्यूम्स प्रोटीन से भरपूर एक हेल्दी सुपरफूड है। वो लोग जो नॉनवेज नहीं खाते हैं, उनके लिए ये बेहद फायदेमंद है। पोषण स्तर के हिसाब से आंके तो 50 ग्राम लेग्यूम्स की एक सर्विंग में दिन में आधे प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकता है। एक कप लेग्यूम्स से आपको 20 ग्राम प्रोटीन की प्राप्ति होती है। जो बैड कोलेस्टाल को कम करके शरीर में गुड कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करता है।
आहार विशेषज्ञ बता रहीं हैं लेग्यूम्स के बारे में 5 जरूरी फैक्ट
लेग्यूम्स में काम्प्लेक्स कार्ब्स पाए जाते हैं। इन कार्ब्स से ब्लड में शुगर का लेवल नहीं बढ़ता है।
1 ये प्रोटीन से भरपूर हैं
लेग्यूम्स यानि फलियों में पोषण का स्तर बेहद अधिक होता है। प्रोटीन से भरपूर इन फलियों में फाइबर, विटामिन, मिनरल्स, जिंक और पोटेशियत भरपूर मात्रा में पाया जाता है। आधा कप लेग्यूम्स में 1 ग्राम फैट, 8 ग्राम प्रोटीन और 20 ग्राम कार्ब्स पाए जाते हैं। इसका ग्लासेमिक इंडेक्स लो होने के चलते ये ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित करने का काम करता है।
2 एंटी ऑक्सीडेंटस से रिच
डॉ रूचि सोनी के मुताबिक लेग्यूम्स में खासतौर से एंटी ऑक्सीडेंटस प्रापर्टीज़ पाई जाती है। ये न केवल इंफलामेशन को दूर करता है बल्कि शरीर को गुड प्रोटीन सप्लाई करता है। इसके अलावा आर्थराइटिस के पेशेंट, जिन्हें युरिक एसिर्ड बढ़ने के कारण घुटनों में दर्द की शिकायत रहती है। वो भी लेग्यूम्स को अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करें। वहीं दालों की तुलना में लेग्यूब्स शरीर को स्वस्थ रखने का काम करते हैं।
3 डायबिटीज के खतरे को करे कम
लेग्यूम्स में काम्प्लेक्स कार्ब्स पाए जाते हैं। इन कार्ब्स से ब्लड में शुगर का लेवल नहीं बढ़ता है। क्लिनिकल न्यूट्रिशन की एक स्टडी के मुताबिक अपनी डाइट में शामिल करके हाई कार्डियोवैस्कुलर रिस्क् वाले लोगों में डायबिटीज़ होने की आंशका को 35 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इसे आप एक सबस्टीटयूट के तौर पर अपनी मील में अंडे, रोटी और चावल की जगह अगर शामिल करते हैं, तो इससे भी डायबिटीज़ का खतरा कम होने लगता है।
4 कब्ज से भी बचाते हैं
लेग्यूम्स में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इससे पाचन क्रिया उचित रहती है और कब्ज की समस्या से मुक्त रहा जा सकता है। डेली डाइट में इसे शामिल करके डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाया जा सकता है। अगर आप फलियों को पूरी तरह से नहीं पकाते हैं, तो ये शरीर के लिए नुकसानदानयक भी हो सकती हैं।
5 कोलेस्ट्रॉल को करे नियंत्रित
लेग्यूम्स में सैपोनिन की मात्रा होने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है। इसके अलावा फाइटोस्टेरॉल ब्लड में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को मैनेज करने का काम करता है।
लेग्यूम्स में काम्प्लेक्स कार्ब्स पाए जाते हैं। इन कार्ब्स से ब्लड में शुगर का लेवल नहीं बढ़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
क्या है लेग्यूम्स को आहार में शामिल करने का सही समय
लेग्यूम्स को आप सूप के तौर पर डिनर से पहले ले सकते हैं।
दाल की तरह इसे पकाकर चपाती या चावल के साथ खाया जा सकता है।
कई मरह के लेग्यूम्स को आप अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर कुक कर सकते हैं। सब्जी के तौर पर खा सकते हैं।
लेग्यूम्स को पकाने का सही तरीका
इनको बनाने के एक से दो घंटे पहले सोक कर लें। आप चाहें, तो रातभर भी भिगोकर रख सकते है।
भिगोने के बाद पकाने से इसकी प्रोपर्टीज में बदलाव दिखने लगता है और इसका पोष्ज्ञण स्तर बढ़ जाता है।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इन्हें सेमीकुक फॉर्म में खाने से बचें, जो पेट दर्द और अन्य बीमारियों का कारण बन सकती है।
इन्हें सोक करने के बाद पूरी तरह से पकाकर खाएं, ताकि इससे आपके डाइजेशन सिस्टम को कोई नुकसान न हो। साथ ही आपको इसका पूरा लाभ भी मिल सके।
इसको आप स्प्राउटस बनाकर उसमें कच्ची सब्जियां मिलाकर खा सकते है।
इसको आप सलाद की फॉर्म में भी खा सकते हैं।