हर सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर हमें ख़ुशहाली से जुड़े अलग-अलग तरह के कोट्स पढ़ने मिलते हैं. आपको आश्चर्य हो सकता है कि आख़िर ख़ुशहाली है किस चिड़िया का नाम. हमने देखा अलग-अलग उम्र के, व्यवसाय से जुड़े लोगों के ख़ुशी के मायने अलग-अलग होते हैं. तो हमने सोचा आख़िर मांओं के लिए ख़ुशहाली के क्या मायने होते होंगे. हमने सात मांओं से जाना, आख़िर उनके लिए ख़ुशहाली के मायने क्या हैं?
‘‘मैं उस समय बेहद ख़ुश महसूस करती हूं, जब वॉशरूम जाती हूं और अपने पूरे काम निपटाकर आराम से बाहर आ पाती हूं. पर ऐसा हो बहुत कम ही पाता है. नज़रों से दूर क्या हुई बच्चा रोने लगता है. एक दिन की बात है मैं नहाने गई थी, बच्चा सो रहा था, पर अचानक वह जागकर रोने लगा और मुझे शैम्पू लगे बालों में ही बाहर आना पड़ा.’’
‘‘मां बनने के बाद से मेरे लिए वह लम्हा सबसे ख़ुशहाल होता है, जब मुझे बिना किसी परेशानी को खाना खाने मिल जाए. पर सच कहूं तो पिछले कुछ समय से ऐसा मौक़ा बहुत कम ही मिला है.’’
‘‘मेरे लिए सबसे बड़ी ख़ुशी होती है वीकएंड पर दो दिन घर पर बिताने के बाद ऑफ़िस जाना. मैं शनिवार और रविवार बच्चे की देखभाल करके इतनी तृप्त हो जाती हूं कि अब मुझे मंडे से बिल्कुल भी नफ़रत नहीं होती. घर और बच्चे से कुछ समय की दूरी मुझे सुकून देती है. मैं इस समय का बेसब्री से इंतज़ार करती हूं.’’
‘‘पिछले कुछ समय से मुझे सबसे ज़्यादा ख़ुशी ट्रैफ़िक में फंसने के दौरान मिलती है. कारण यह है कि मेरा बच्चा कार में आराम से सोता है. उस दौरान मैं बातचीत कर सकती हूं, म्यूज़िक सुन सकती हूं, अपने फ़ोन पर वक़्त बिता सकती हूं और यहां तक कि टेकअवे काउंटर से लाया हुआ खाना भी इत्मीनान से खा सकती हूं. यही कारण है कि जैसे भी मुझे मौक़ा मिलता है, मैं कार लेकर निकल जाती हूं. वहां तक कि घर से पास वाले सुपरमार्केट जाना हो तो भी कार निकाल लेती हूं.’’
‘‘मेरे लिए ख़ुशी का मतलब है, जब मन चाहे देर तक सोने को मिल जाए. मैं जिस दिन अपने आप उठती हूं, उस दिन ख़ुद को भाग्यशाली समझती हूं. मेरा बच्चा जब से छह महीने का हुआ है, अब मुझे कभी-कभी यह ख़ुशी मिल जाती है. दरअसल अब उसने थोड़ा-थोड़ा बाहर का खाना शुरू कर दिया है, जिसके चलते मुझे हर वक़्त उसे फ़ीड कराने के लिए अवेलेबल नहीं होना होता. परिवार के दूसरे सदस्य भी उसे खाना खिला देते हैं, बिना मुझे डिस्टर्ब किए. यह मेरे लिए किसी ख़ुशी से कम नहीं है.’’
-नेहा गहलोत‘‘मुझे कुकिंग करके ख़ुशी मिलती है. मैं एक फ़ूडी व्यक्ति हूं. मुझे खाना और पकाना दोनों पसंद है. मेरे लिए खाना बनाना मेडिटेशन की तरह है. मां बनने के शुरुआती दिनों में मैं यह ख़ुशी मिस कर रही थी. जैसे ही मुझे लगा कि अब अपने काम ख़ुद कर सकती हूं, मैंने कुक को मना कर दिया और किचन की ज़िम्मेदारी संभाल ली. इस तरह मैंने अपनी ख़ुशी दोबारा हासिल कर ली.’’
‘‘मेरे लिए मां बनने के बाद सबसे बड़ी ख़ुशी हो गई थी बिना किसी व्यवधान के सेक्स कर पाना. सेक्स हमारे लिए दिन ब दिन मुश्क़िल होता जा रहा था. सबसे पहले तो दिनभर बच्चे के आगे-पीछे भागकर थक जाओ. और बावजूद इस थकावट के जब मैं और मेरे पति थोड़ा सा समय और ऊर्जा बचाकर सेक्स करने की सोचते, पता नहीं रात में ठीक उसी समय बच्चा जाग जाता था. दुलारने-पुचकारने का भी उसपर कोई असर नहीं होता था. और आख़िरकार हमारा मूड भी रफ़ूचक्कर हो जाता था. जब भी कभी हमें सेक्स करने मिलना, हम ख़ुद को बहुत लकी समझने लगते थे.’’