गर्म तासीर वाले मसालों का प्रयोग गर्मी में हो सकता खतरनाक, जानिए कैसे
भीषण गर्मी पड़ रही है और ऐसे में अत्यधिक गर्म तासीर वाले मसालों का सेवन घातक हो सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज हर कोई अपने इम्युनिट को मजबूत करना चाहता है. इसके लिए कुछ लोग मल्टीविटामिन ले रहे हैं तो कुछ लोग अश्वगंधा, काली मिर्च, तुलसी, लौंग, लहसुन, हींग, दालचीनी जैसे मसालों का उपयोग कर रहे हैं.
भीषण गर्मी पड़ रही है और ऐसे में अत्यधिक गर्म तासीर वाले मसालों का सेवन घातक हो सकता है. लोगों को इन मसालों को किस अनुपात में प्रयोग करना है, ये पता ही नहीं है, इसलिए इम्यूनिटी बढ़ाने वाले ये मसाले जरूरत से ज्यादा और गलत अनुपात में सेवन करने से सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि दालचीनी, गिलोय, काली मिर्च जैसी चीजों का ओवरडोज अल्सर, पेट दर्द या सीने में जलन का कारण बन रहा है. ये लीवर को भी नुकसान पहुंचाता है और पाचन संबंधी समस्याओं को भी जन्म दे सकता है. हर व्यक्ति के शरीर की प्रकृति भी अलग होती है, इसलिए इन मसालों का प्रयोग विशेषज्ञों की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए.
त्वचा संबंधी परेशानी
रोग प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए काली मिर्च, अजवाइन, दालचीनी, लौंग, सौंठ और अदरक जैसे मसालों से बना काढ़ा या चाय त्वचा संबंधी परेशानियों को जन्म दे सकती है. इनके अविवेकपूर्ण प्रयोग से त्वचा पर रैशेज़ और मुहांसे आ सकते हैं और त्वचा पर खुजली व जलन की समस्या भी हो सकती है .
एसिडिटी और गले में जलन
मसालों का अत्यधिक मात्रा में सेवन एसिडिटी और गले में जलन कर सकता है . इससे मुँह में छाले हो सकते हैं और ध्यान नहीं देने पर ये गले तक पहुंच सकते हैं . एसिडिटी और बदहजमी की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है . इसलिए बिना चिकित्सक या विशेषज्ञ के परामर्श के मसालों का मनमाना प्रयोग न करें.
सोशल मीडिया के वायरल वीडियो के आधार पर न बनाएं काढ़ा
आज सोशल मीडिया पर काढ़ा बनाने के वीडियो और मैसेज जमकर वायरल हो रहे हैं, हर कोई खुद को विशेषज्ञ समझने लगा है. लोग डॉक्टर की राय लिए बिना इन वीडियोज को देखकर काढ़ा बना रहे हैं. हर इंसान की प्रकृति अलग होती है. उम्र के साथ दवा की मात्रा भी बदलती है. काढ़े में डलने वाले हर एक मसले की सही और संतुलित मात्रा का होना बेहद जरूरी है क्योंकि अति सर्वत्र वर्जयेत. काढ़ा बनाने के लिए विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें क्योंकि वे उम्र, वजन, शरीर की प्रकृति ( वात, पित्त, कफ़) को ध्यान में रखकर काढ़े में मसालों की मात्रा निर्धारित करते हैं.
मसालों की स्वच्छता का रखें ध्यान
ये ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि काढ़े में डलने वाले मसाले साफ और सूखे हों. उनमें नमी या फफूंद न हो. फंगस लगी जड़ी-बूटी से डायरिया या पेट की प्रॉब्लम हो सकती है. इम्यूनिटी बढ़ाने और बीपी कंट्रेाल में रखने के लिए दालचीनी, गिलोय को कारगर माना जाता है लेकिन इसे भी ज्यादा मात्रा लेने से चक्कर, बेहोशी, कमजोरी जैसे समस्या हो सकती है.
साइड इफेक्ट्स का खतरा
हल्दी, अदरक, काली मिर्च जैसे मसाले बहुत गर्म होते हैं. इनसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है लेकिन ओवरडोज से बीमारियों का खतरा भी होता है. लोगों ने कुछ दवाओं का सेवन भी बढ़ा दिया है जो इम्युनिटी बूस्टर होने का दावा करती हैं . इन दवाओं की सही खुराक और उपयोग के तरीके का पता होना भी जरूरी है. गलत दवा और ज्यादा खुराक लेने से कई साइड इफैक्ट होने का खतरा होता है और कई बार शरीर में दूसरी व्याधि का जन्म हो जाता है जो परेशानी का सबब बन जाता है .