माता कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा- अर्चना

इस समय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है।

Update: 2021-10-08 07:59 GMT

 इस समय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। 9 नवंबर यानी कल विशेष योग बन रहा है। 9 नवंबर को तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन है। इस बार शारदीय नवरात्रि 8 ही दिन की हैं। तृतीया तिथि पर मां के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा और चतुर्थी तिथि पर मां के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्माण्डा की पूजा- अर्चना की जाती है। इस बार माता चंद्रघंटा और माता कूष्माण्डा की पूजा एक ही दिन की जाएगी। 9 अक्टूबर का दिन बेहद शुभ रहने वाला है।

माता चंद्रघंटा

माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं। दस हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं। माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान है। इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनसार, मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने से भक्त निर्भय और सौम्य बनता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा करने से चंद्रमा की स्थिति सुधरती है।

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माता कूष्मांडा

चतुर्थी तिथि पर मां के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा की जाताी है। कूष्मांडा शब्द दो शब्दों यानि कुसुम मतलब फूलों के समान हंसी और आण्ड का अर्थ है ब्रह्मांड। अर्थात वो देवी जिन्होनें अपनी फूलों सी मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है। देवी कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। साथ ही हाथ में अमृत कलश भी है। मां की पूजा करने से यश, आयु और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां ती सवारी सिंह है जो कि धर्म का प्रतीक है।

मां को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा- अर्चना

सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।

मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।

धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।

मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

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