गाजीउद्दीन खान का ये मकबरा आज भी बयां करता है ऐतिहासिक किस्से
ऐतिहासिक किस्से
भारत के इतिहास में प्राचीन जगहों के अलावा कई ऐसे दरवाजे भी हैं, जो आज भी हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं जैसे कश्मीरी गेट, काबुली दरवाजा, दिल्ली गेट, इंडिया गेट और अजमेरी गेट आदि। दिल्ली के इन नामी दरवाजों का अपना अलग इतिहास रहा है। यह इतिहास दिल्ली में राज करने वाली हर हुकूमत से जुड़ा हुआ है।
हालांकि, कई दरवाजे ऐसे भी होंगे, जो वक्त के साथ घुलमिल हो चुके होंगे। पर आज हम आपको जाने-माने अजमेरी गेट पर स्थित गाजीउद्दीन खान के मकबरे के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिसका अपना अलग इतिहास रहा है। बता दें कि गाजीउद्दीन खान मुगल साम्राज्य के बेहद खास और समझदार व्यक्ति हुआ करते थे। तो आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं गाजीउद्दीन खान के मकबरे के बारे में-
कौन थे गाजीउद्दीन खान?
गाजीउद्दीन खान का जन्म बुखारा में साल 1649 में हुआ था, उनके पिता का नाम आबिद खान था। गाजीउद्दीन खान को मीर-शिहाब-उद-दीन-सिद्दीकी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यह मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक सैन्य जनरल और कुलीन थे, जो राजनीति को बहुत अच्छी तरह से समझते थे। इसलिए उन्होंने कई युद्ध में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
कहा जाता है कि जहां गाजीउद्दीन का मकबरा है, उस स्थान पर हैदराबाद राज्य के संस्थापक चिन किलिच खान द्वारा बना बनाया गया मदरसा हुआ करता था। बाद में यहां गाजीउद्दीन खान को दफना दिया गया था, जिसे गाजीउद्दीन खान के नाम से जाना जाता है।
गाजीउद्दीन खान के मकबरे से जुड़े रोचक तथ्य
गाजीउद्दीन खान की मृत्यु साल 1710 में गुजरात सूबा की राजधानी अहमदाबाद में हुई थी। मगर उनके शव को दिल्ली लाया गया और अजमेरी गेट पर स्थित मदरसे के अंदर दफनाया गया। इस मदरसे को साल 1692 में औरंगजेब के एक दरबारी मीर शहाबुद्दीन ने बनवाया था, जिन्हें गाजीउद्दीन की उपाधि प्रदान की गई थी। दफनाने के बाद यह मदरसा गाजीउद्दीन खान के मकबरे के नाम से भी जाना जाने लगा।
एंग्लो अरेबिक स्कूल के नाम से जाना जाता था मकबरा
यह तो हम सभी को पता है कि मदरसे के अंदर कब्र को बनाया गया था। मगर यह मदरसा इस्लामिक शिक्षा के लिए जाने जाता था। मगर बाद में इस मदरसे को बनवाया गया और यहां साल 1824 में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की गई, जिसे एंग्लो अरेबिक स्कूल नाम दिया गया। (फेमस स्मारकों को महिलाओं ने है बनाया)
बता दें कि दिल्ली में गाजीउद्दीन खान का मदरसा और मकबरा मुस्लिम समुदाय को शिक्षित करने का एक प्रयास था। हालांकि, कब्र के पास जाने के लिए प्रिंसिपल की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया था।
कैसी है गाजीउद्दीन खान के मकबरे की वास्तुकला?
यह पूरा मदरसा लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। मगर गाजीउद्दीन खान की कब्र तो इसकी संरचना संगमरमर के पत्थरों से बनाई गई है। बता दें कि बीच में गाजीउद्दीन की क्रब बनाई गई है, जिसे जाली वाली दीवार से मकबरे का रूप दिया गया है। साथ ही, मकबरे के दरवाजा इंडो-इस्लामिक शैली में बनाया गया है।
हालांकि, समय के साथ-साथ यह पत्थर गंदे हो गए हैं, लेकिन दिखने में आज भी यह उतना ही खूबसूरत है, जितना मुगल काल में हुआ करता था।
गाजीउद्दीन खान के मकबरे कैसे जाएं?
यह मकबरा कुख्यात जीबी रोड (अब इसका नाम श्रद्धानंद मार्ग है) की शुरुआत में ही स्थित है। गाजीउद्दीन खान का मकबरा ढूंढना आसान है। आपको बस अजमेरी गेट का पता लगाना होगा और सड़क की दूसरी तरफ यह मकबरा दिखाई देगा।
यह मकबरा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और कश्मीरी गेट से जुड़ा हुआ है। अगर आप दूर से इस मकबरे को एक्सप्लोर करने के लिए आ रहे हैं, तो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से सीधा मकबरे के लिए ऑटो कर सकते हैं। वहीं, मेट्रो से आ रहे हैं तो कश्मीरी गेट स्टेशन बेस्ट रहेगा। सड़क से आप सीधा अजमेरी गेट आ सकते हैं और पैदल इस मकबरे को एक्सप्लोर कर सकते हैं।
आप इस मकबरे को एक्सप्लोर करने के लिए जरूर जाएं और अपना एक्सपीरियंस हमारे साथ नीचे कमेंट बॉक्स में साझा करें। इस मकबरे को एक्सप्लोर करते वक्त कई ऐतिहासिक किस्से जानने का मौका मिलेगा।
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