कोरोना के बाद चिकित्सा विज्ञान में एलोपैथी, आयुर्वेद और होम्योपैथी का अपना-अपना एक अलग मुकाम बन गया है। किसी भी तरह की बीमारी में तुरन्त ठीक होने के लिहाज से सबसे पहले व्यक्ति एलोपैथी अर्थात् अंग्रेजी दवाओं का सहारा लेता है। उसके बाद वह बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए आयुर्वेद और फिर होम्योपैथी का सहारा लेता है। होम्योपैथी में व्यक्ति की तकलीफ दूर होने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है लेकिन होम्योपैथी के बारे में कहा जाता है कि यह जड़ से बीमारी को दूर कर देती है। होम्योपैथी में लिक्विड दवा के साथ छोटी-छोटी मीठी गोलियों को मिलाकर दिया जाता है। यह छोटी मीठी गोलियाँ बड़ी कारगर और असरदार होती हैं। होम्योपैथी विशेषज्ञों का कहना है कि इन गोलियों को खाने के बाद व्यक्ति को दही और केला नहीं खाना चाहिए। इन गोलियों को मुँह में डालते वक्त इन्हें हाथ से छूना भी नहीं चाहिए।
घर में काम करते समय उंगली कटने, स्किन छिलने या जलने जैसी चीजें होती रहती हैं। मौसम बदला नहीं कि बच्चे छींकने लगते हैं। सर्दी, खांसी, बुखार, बदन दर्द आम होता है। कुछ लोग एसिडिटी, बदहजमी, जोड़ों में दर्द, पसीना अधिक आना इत्यादि से भी परेशान रहते हैं। इसके अतिरिक्त कई लोगों के मन में किसी न किसी बात को लेकर डर बना रहता है जिसे चिकित्सा भाषा में फोबिया कहा जाता है जैसे-पानी से डरना, बच्चों में परीक्षा को लेकर डरना, एक्सीलेटर पर चढऩा, ऊँचाई को देखकर डरना या फिर ऊँचाई को देखकर डरना इत्यादि। इस तरह की बीमारियों में होम्योपैथी की दवाईयाँ एलोपैथी या आयुर्वेद से ज्यादा कारगर होती हैं। चिकित्सकों के अनुसार यह छोटी-छोटी मीठी गोलियाँ खाली पेट लेने पर अधिक असरकारक होती हैं।
होम्योपैथी की दवाओं में छोटी-छोटी मीठी गोलियों की भूमिका बड़ी कारगर और असरदार होती है। होम्यो चिकित्सकों का कहना है कि इन गोलियों को खाने के बाद केला-दही नहीं खानी चाहिए। साथ ही इन्हें हाथ से छूना भी नहीं चाहिए।
कुछ ऐसी ही होम्योपैथी दवाओं के बारे में आज हम अपने खास खबर डॉट कॉम पाठकों को बताने जा रहे हैं, जिन्हें वे स्वयं बाजार से खरीदकर घर पर तैयार कर सकते हैं और सामान्य सी तकलीफों में उन्हें लेकर स्वयं को बीमारी से मुक्त कर सकते हैं।
मैग्नेशिया फॉस
दर्द की दवा में इसे सबसे बेहतर माना जाता है। पीरियड्स के समय होने वाले दर्द के लिए यह सबसे खास दवा है। मेगफोस 6एक्स को गरम पानी में घोलकर लेने से दर्द में अधिक फायदा होता है।
लाइकोपोडियम
पेट फूलने, एसिडिटी, पेट में गडग़ड़ाहट की आवाज आने की शिकायत हो तो लाइकोपोडियम दवा कारगर होती है।
केलकेरिया कार्ब
जंक फूड और स्नैक्स, चिप्स खाने से बच्चे मोटापे के शिकार होते हैं। मोटे-थुलथुल बच्चों को यह दवा देनी चाहिए। कैल्शियम की कमी के कारण बच्चों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कुछ बच्चों को ठंड बर्दाश्त नहीं होती। उन्हें केलकेरिया कार्ब दवा देनी चाहिए। दवा लेने के बाद सोने पर तकिया पसीने से भीग जाए तो समझें कि दवा असरदार है।
कार्बो वेज
गैस या डकार आए या पेट के ऊपरी भाग में एसिडिटी हो तो कार्बो वेज दवा देनी चाहिए।
अर्निका
अगर गिरने से चोट लग जाए या सूजन हो, खून निकलने लगे या दर्द हो तो अर्निका 30 देना चाहिए। कई लोगों को बचपन में चोट लगती है लेकिन दर्द कई सालों बाद उभरता है। ऐसे दर्द में अर्निका 30 कारगर है।
आर्सेनिकम एल्बम
कोविड के समय इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सबसे अधिक आर्सेनिकम एल्बम दवा की मांग थी। सर्दी-खांसी, जुकाम, सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों में संक्रमण, शरीर दर्द होने पर आर्सेनिक एलबम-30 दवा लेने से राहत मिलती है। इसे दिन में तीन बार लिया जा सकता है। मन में घबराहट, थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी पीने की इच्छा होने जैसे लक्षण होने पर आर्सेनिकम एल्बम दवा काम करती है।
बोरेक्स
मुंह में छाले पड़ जाए, कुछ खाने या निगलने में परेशानी हो रही है तो बोरेक्स दवा लेनी चाहिए।
कैलेंडुला
यह दवा एंटी सेप्टिक के तौर पर काम करती है। स्किन जलने, छिलने या मुंह में छाले पडऩे पर यह दवा कारगर है। खाने की जगह कैलेंडुला लिक्विड को घाव पर लगाया जा सकता है। इससे घाव को साफ किया जाता है। बच्चों के डायपर के कारण अगर रैशेज हों तो वहाँ भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
डल्कामारा
सर्दी-खांसी ठीक नहीं हो रही या फिर बलगम आ रहा, फेफड़ों से सरसराहट की आवाज आती है तो डल्कामारा लें।
कैंफर 1 रू
अगर रोगी की पल्स गिरने लगे, शरीर ठंडा पडऩे लगे, पैरों के तलवे में ज्यादा ठंड लगे तो कैंफर 1 रू देना सही है।