परवरिश से जुड़ी ये गलतियां कर सकती हैं बच्चों को तनावग्रस्त, इनमें है सुधार की जरूरत
इनमें है सुधार की जरूरत
बच्चों की सही परवरिश, हर माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। पेरेंट्स भी चाहते हैं कि उनके बच्चों की पेरेंटिंग अच्छे से की जाए ताकि वो बेहतर इंसान बनते हुए ऊंचे मुकाम हासिल करें और खुश रहें। लेकिन कई बार पेरेंट्स की कुछ गलतियां उनकी परवरिश पर भारी पड़ जाती हैं और बच्चे खुश रहने की जगह तनाव में आ जाते हैं। जब घर पर बच्चा अकेला हो तो अभिभावकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। बच्चों की परवरिश का असर उनकी पर्सनैलिटी पर पड़ता है। आज इस कड़ी में हम आपको उन आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें पेरेंट्स को सुधार लाने की जरूरत हैं। आइये जानते हैं इन आदतों के बारे में...
तुलना करने से बचें
कई बार माता-पिता अपने बच्चों की तुलना उनके दोस्तों या फिर रिश्तेदारों के बच्चों से करने लग जाते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो इस आदत को छोड़ दें। भले ही आप तुलना अच्छे के लिए कर रहे हों, लेकिन इसका असर उनके ऊपर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अधिकतर बच्चों को दूसरों के साथ की गई तुलना बिल्कुल पसंद नहीं होती है। ऐसे में वह काफी ज्यादा जिद्दी और लापरवाह भी हो सकते हैं। अगर आप उन्हें बेहतर इंसान बनाना चाहते हैं तो उन्हें प्यार से समझाने की कोशिश करें और आपका भी फर्ज है कि आप उनके मन को समझें और उस हिसाब से उन्हें समझाएं।
बच्चों के सामने लड़ाई करना
पति-पत्नी जब माता-पिता बन जाते हैं, तो उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। माता-पिता बनने के बाद आपके आसपास कोई और भी होता है जो आपके बीच की बातें सुन और देख रहा होता है। अगर माता-पिता लड़ाई करेंगे, तो बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ेगा। किसी भी बहस या बात को बच्चे के सामने करने के बजाय उसके पीछे करें। जिन माता-पिता के बीच अक्सर लड़ाई होती है, उनके बच्चे आगे चलकर रिश्तों पर विश्वास नहीं कर पाते और तनाव का शिकार हो जाते हैं।
बच्चे को बाहर जाने से रोकना
समाज में जीने के लिए बच्चे को बाहर के माहौल में घुलना मिलना आना चाहिए। बच्चा बिगड़ न जाए या किसी मुसीबत में न पड़ जाए इसलिए माता पिता उन्हें बाहर जाने से मना करते हैं। ऐसे में वह बच्चा खुद को कैद में महसूस करता है और अकेलापन महसूस करता है। हो सकता है कि वह माता-पिता के इस बर्ताव की वजह से उनसे दूरी बनाने लगे।
अपनी इच्छाएं थोपना
अक्सर अभिभावक बच्चे पर अपनी इच्छाओं को पूरा करने का दबाव बनाते हैं। वह बच्चे से कई सारी उम्मीदें लगा लेते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए बच्चे से अपेक्षा करते हैं। इसके कारण बच्चा तनाव में आ सकता है। अभिभावकों की इच्छा और सपनों को पूरा करने के लिए बच्चे पर मानसिक और शारीरिक तौर पर दबाव बढ़ता है।
बहुत सख्त न बनें
कुछ माता-पिता अपने बच्चों को अनुशासित रखते हैं ताकि उनकी आदतों में सुधार किया जा सके। कभी-कभी आपका सख्त बनना बच्चों के व्यवहार पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसलिए कोशिश करें कि बच्चों को छोटी-छोटी गलतियों पर सख्त सजा न दें। अगर आप उन्हें बहुत कड़ी सजा देते हैं तो आपका बच्चा मानसिक तनाव का शिकार हो सकता है। इसलिए उनकी गलतियों पर उन्हें सुधारने के लिए प्यार से समझाने की कोशिश करें।
बच्चों को समय न देना
आजकल की भागती-दौड़ती जिंदगी में किसी के पास समय नहीं है। लेकिन आपके घर में पैट्स या बच्चे हैं, तो उनके लिए आपको समय निकालना ही होगा। जिन बच्चों के माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं, उनके बच्चों को तनाव ज्यादा होता है। बच्चे ज्यादा समय अकेले बिताएंगे, तो उन्हें सही और गलत के बीच फर्क समझने में मुश्किल होगी। अगर आप बच्चे से दूर रहते हैं, तो भी बात करने का जरिया न बंद करें। बच्चे के लिए समय निकालना हर तरह से फायदेमंद है। इससे आपके और बच्चे के बीच का बॉन्ड मजबूत होता है।
फैसले लेने का अधिकार न देना
अक्सर माता पिता बच्चों को नसमझ और जिम्मेदार न समझ कर उनके जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ही लेते हैं। चाहे वह उनकी पसंद का खिलौना लेना हो या उनकी शिक्षा से जुड़ा फैसला हो। बच्चों को कुछ फैसले खुद से लेने दें। वह गलत निर्णय लेंगे तो भविष्य के लिए उन्हें सबक मिलेगा। गलतियों से सीखने का मौका दें। अगर आप उनके फैसले लेंगे तो वह जीवन में अपने फैसलों को लेकर हमेशा कंफ्यूज रहेंगे।