Life Style: प्लास्टिक के उत्पत्ति की कहानी

Update: 2024-07-03 10:03 GMT
Life Style लाइफ स्टाइल : टूथब्रश से लेकर टॉयलेट सीट, लाइट के स्विच, खाने के बर्तन, पानी की बॉटल तक में प्लास्टिक शामिल है। प्लास्टिक की खोज के दौरान ऐसा कहा गया था कि ये आविष्कार फ्यूचर के लिए बहुत अहम साबित होगा और नो डाउट हुआ भी, लेकिन जब धीरे-धीरे इसके पर्यावरणीय नुकसानों के बारे में पता लगा, जब जाकर समझ आया कि ये कितना खतरनाक आविष्कार है। आज प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुका है, क्योंकि ये सालों तक नष्ट नहीं होता। मिट्टी, भूजल को जहरीला बनाने के साथ मनुष्यों में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकता है।
प्लास्टिक यूनानी शब्द प्लैतिकोस से बना है, जिसका मतलब है किसी भी आकार means any size में ढाल देना। ज्यादातर प्लास्टिक पॉलिमर से बने होते हैं, जिनमें कार्बन मौजूद होता है। पहला मानव निर्मित प्लास्टिक ब्रिटिश केमिस्ट अलेक्जेंडर पाक्स द्वारा साल 1856 में बनाया गया था।
लियो एच. बैकलैंड की बदौलत घर-घर पहुंचा जहरीला प्लास्टिक Toxic plastic
आधुनिक प्लास्टिक की खोज और उसे घर-घर पहुंचाने का श्रेय बेल्जियम मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक लियो एच. बैकलैंड को जाता है। जिन्होंने फिनॉल और फर्मेल्डिहाइड नामक केमिकल्स के एक्सपेरिमेंट के दौरान एक नए पदार्थ की खोज की, जो आज प्लास्टिक के रूप में जाना जाता है।
कौन थे लियो एच बैकलैंड?
लियो एक मोची के बेटे थे। लियो के पिता पढ़े-लिखे नहीं थे और न ही वो लियो की पढ़ाई को लेकर ज्यादा सोचते थे। वो लियो को अपने साथ अपने जूते बनाने के काम में लगाना चाहते थे। लियो की इस महत्वपूर्ण खोज का थोड़ा श्रेय उनकी मां को भी जाता है। जो अपने बेटे को पढ़ाना चाहती थीं। मां के कहने और प्रोत्साहित करने पर लियो ने नाइट शिफ्ट वाले स्कूल में दाखिला ले लिया। पढ़ने में अच्छा होने की वजह से लियो को घैंट यूनिवर्सिटी में स्कॉलरशिप भी मिली।
मात्र 20 साल की उम्र में उन्होंने केमिस्ट्री में डॉक्टरेट कर लिया। इसी के साथ उन्होंने अपने टीचर की बेटी से शादी भी कर ली और उसके बाद अमेरिका चले गए। अमेरिका में अपने शुरुआती दिनों उन्होंने फोटोग्राफ़िक प्रिंटिंग पेपर के जरिए बहुत पैसा कमाया और उससे न्यूयॉर्क में एक बड़ा घर खरीदा। लियो ने काम के साथ-साथ अपना समय बिताने के लिए घर में एक लैब भी बनवाया। साल 1907 में घर में फर्मेल्डिहाइड और फेनॉल जैसे केमिकल्स के साथ कुछ-कुछ करते हुए उन्होंने ऐसा आविष्कार कर डाला, जिससे प्लास्टिक की उत्पत्ति हुई। जिसे उन्होंने बैकेलाइट कहा।
इस बड़ी कामयाबी के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 11 जुलाई 1907 को अपने एक जर्नल में वो लिखते हैं कि, अगर मैं गलत नहीं हूं, तो मेरा ये आविष्कार (बैकलाइट) भविष्य के लिए अहम साबित होगा। जो काफी हद तक सच भी था। बाद में लोगों को इस अहम आविष्कार के पीछे के खतरों का पता लगा।
कितना खतरनाक है प्लास्टिक
प्लास्टिक सेहत और पर्यावरण दोनों के ही लिए बेहद नुकसानदायक है, क्योंकि प्लास्टिक का निर्माण पेट्रोलियम से प्राप्त केमिकल्स से होता है। ये केमिकल्स और इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकती हैं। इसके खतरे यहीं खत्म नहीं होते। समुद्र, नदियों में फेंका जाने वाला प्लास्टिक पानी को भी प्रदूषित करता है। इससे कई जीव-जंतुओं का अस्तित्व खतरे में आ गया है।
कुछ मायनों में काम का भी है प्लास्टिक
अपनी सुविधा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक बैग्स सालों तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। लैंडफिल के अलावा इन्हें समुद्र, नदियों और झीलों में फेंका जाता है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ाते हैं। इनके अनियंत्रित उपयोग से प्राकृतिक जीवन पर भी असर पड़ता है। प्लास्टिक में मौजूद केमिकल्स जमीन में समाने के साथ भूजल को भी दूषित करते हैं। इन सारे खतरों के साथ-साथ कुछ मामलों में प्लास्टिक पर्यावरण के लिए फायदेमंद भी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं प्लास्टिक से बनी गाड़ियां, जिनमें लोहे की गाड़ियों की अपेक्षा ईंधन की कम खपत होती है।
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