क्या पीरियड्स के दौरान बाल नहीं धोने चाहिए? जानें क्या कहता है शास्त्र
जानें क्या कहता है शास्त्र
हमारे धर्म शास्त्रों में न जाने ऐसी कितनी बाते हैं जिनके बारे में सही कारण आज भी अज्ञात हैं। वहीं शास्त्रों में पीरियड्स को लेकर भी कई बातें बताई गई हैं और हम सदियों से उनका पालन करते आ रहे हैं।
आपने अक्सर घर के बड़े बुजुर्गों को ऐसा कहते हुए सुना होगा कि पीरियड्स में ज्यादा बाहर मत निकलो, मंदिर और किचन में प्रवेश मत करो, अचार मत छुओ और सबसे बड़ी बात पीरियड्स के दौरान स्नान और बाल धोने के नियमों से जुड़ी है।
शास्त्रों में इस दौरान बाल धोने के विशेष नियम बनाए गए हैं और ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान बाल न धोना ही बेहतर है। हममें से कई लोग इस नियम का पालन बड़ों की बातों के अनुसार करते हैं, लेकिन शायद ही कोई हो जिसे इसके सही कारण पता हों। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें शास्त्रों में बताई इस बात के बारे में विस्तार से।
शास्त्रों के अनुसार पीरियड्स में बाल धोने की क्यों है मनाही?
ऐसा माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर से अशुद्ध रक्त का स्राव होता है और यह प्रक्रिया प्रति महीने कुछ निश्चित दिनों तक चलती है। शास्त्रों में कहा गया है कि महिलाओं को इस दौरान स्नान और बाल धोने से बचना चाहिए।
दरअसल प्राचीन समय में जब घर में स्नान और पानी की उचित व्यवस्था नहीं थी उस समय हमारे जैसे महिलाएं स्नान आदि के लिए नदी या तालाब के पास जाती थीं।
ऐसे में जब उन्हें पीरियड्स होते थे तब नदी के शुद्ध जल का अशुद्ध होने का डर रहता था, इस वजह से यह प्रथा बनाई गई कि पीरियड्स की उस अवधि के दौरान जब आपको उच्च रक्त स्राव हो तब स्नान और बाल धोने के बचें। शास्त्रों में लिखी इन बात का सही कारण जाने बिना ही आज भी उसका अनुसरण होता है।
पीरियड्स के दौरान बाल कब धोने चाहिए?
यदि हम शास्त्रों में बाल धोने के नियमों की बात करें तो आपको बाल तीसरे या पांचवें दिन धोने चाहिए। दरअसल पीरियड्स शुरू होने के तीसरे दिन शरीर शुद्ध माना जाता है, वहीं पांचवें दिन पूरी तरह से शुद्धिकरण होता है। इस वजह से ज्योतिष में यह सलाह दी जाती है कि पांचवें दिन बाल धोने के बाद ही आपको मंदिर या पूजा स्थान पर प्रवेश करना चाहिए।
क्या विज्ञान में भी पीरियड्स के दौरान बाल धोने की है मनाही?
यदि हम पीरियड्स में बाल धोने की बात करें तो विज्ञान ऐसी किसी भी बात की पुष्टि नहीं करता है। हालांकि इसके बारे में एक मिथक है कि यदि हम पीरियड्स के दौरान बाल धोते हैं तो उससे फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
दरअसल यह एक गलत धारणा है जो प्राचीन काल के नहाने के तरीके से जुड़ी हो सकती है। प्राचीन काल में जब महिलाएं नदी में स्नान करती थीं तब नदी का पानी बहुत ठंडा होता था और यदि आप आयुर्वेद और विज्ञान की मानें तो पीरियड्स के दौरान शरीर का तापमान बहुत ज्यादा होता है, वहीं ठंडे पानी से स्नान शरीर के ब्लड फ्लो को कम कर देता है।
जिससे शरीर में ब्लोटिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि आप इस दौरान सामान्य तापमान के पानी से स्नान या बाल धो सकती हैं।
पीरियड्स के दौरान बाल धोने के लिए क्या कहता है आयुर्वेद?
यदि हम पीरियड्स के दौरान बाल धोने के लिए आयुर्वेद की मानें तो हमेशा यही सलाह दी जाती है कि हमें पीरियड्स के दौरान बहुत ठंडे पानी से न तो नहाना चाहिए और न ही बाल धोने चाहिए, क्योंकि ये शरीर में कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। वहीं गुनगुने ये सामान्य तापमान के पानी से स्नान शरीर की कई समस्याओं जैसे पीरियड क्रैम्प आदि से बाहर निकलने में मदद करता है।
शास्त्रों की मानें तो प्राचीन काल से चली आ रही प्रथा की वजह से पीरियड्स में बाल धोने से मन किया जाता है, जबकि विज्ञान ऐसी किसी बात की पुष्टि नहीं करता है और आयुर्वेद में सही तापमान के पानी से स्नान करने की सलाह दी जाती है।
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