वैज्ञानिको ने अनोखा रास्ता ढूंढ निकाला है,बेकार प्लास्टिक से पैदा होगा स्वाद !

प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल के बाद इसे किस तरह रिसाइकिल किया जाए

Update: 2021-12-13 02:32 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल के बाद इसे किस तरह रिसाइकिल (Plastic Waste Recycling) किया जाए, इसे लेकर पर्यावरणविद और दुनिया भर के वैज्ञानिक सालों से रास्ता निकाल रहे हैं. कोई कहता है इनका इस्तेमाल घर बनाने में हो सकता है तो कोई कुछ और तरीका बताता है. हालांकि अब वैज्ञानिकों प्लास्टिक की बेकार बोतलों से स्वादिष्ट वनीला आइसक्रीम (Vanilla Ice Cream Made From Bottles) बनाने का अनोखा रास्ता ढूंढ निकाला है.

Live Science की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिक प्लास्टिक की बेकार बोतलों से वैनिलिन निकालकर (vanilla flavor from plastic waste) वनीला फ्लेवर तैयार करने का तरीका ढूंढ चुके हैं. अब तक वनीला एसेंस में इस्तेमाल होने वाले फ्लेवर को 85 फीसदी वैलिनिन (Vallinin) को कैमिकल्स से, जबकि बाकी वनीला बींस से लिया जाता है. अब वैज्ञानिक इस पद्धति में थोड़ा बदलाव करके प्लास्टिक की बोतलों से भी वनीला एसेंस तैयार करने की तकनीक खोज चुके हैं.
बेकार प्लास्टिक से पैदा होगा स्वाद !
वनीला फ्लेवर का इस्तेमाल खाने-पीने से लेकर कॉस्मेटिक, फार्मा, क्लीनिंग और हर्बीसाइड प्रोडक्ट्स में भी होता है. ऐसे में अब वैज्ञानिक इसे सिंथेटिक तौर पर पैदा किया जाएगा. नए शोध में रिसर्चर्स ने बताया है कि प्लास्टिक से वैनिलिन तैयार किया जा सकता है, जिससे प्लास्टिक पॉल्यूशन भी कम होगा. यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के 2 रिसर्चर्स ने प्लास्टिक बोतल बनाने में इस्तेमाल होने के टेरेफथैलिट एसिड को जेनेटिक इंजीनियरिंग के ज़रिये वैनिलिन में तब्दील करेंगे. इन दोनों ही तत्वों में एक ही कैमिकल पाया जाता है. गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें थोड़ा बदलाव करे इन्हें एक दिन के लिए जब 37 डिग्री सेल्सियस पर रखा गया तो 79 फीसदी टेरेफथैलिक एसिड वैनिलिन में तब्दील हो गया.
प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में मिलेगा फायदा
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में वैनिलिन की ग्लोबल डिमांड 40,800 टन थी, जिसे साल 20025 तक 65 हज़ार टन तक होने की उम्मीद है. ऐसे में अगर प्लास्टिक वेस्ट से वनीला एसेंस तैयार होने लगा तो प्लास्टिक के कचरे को भी कम किया जा सकेगा और वनीला की डिमांड भी पूरी की जा सकेगी. दुनिया में हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बोतलें बिकती हैं और इनमें से सिर्फ 14 फीसदी रिसाइकिल ही पाती हैं. ऐसे में इस तकनीक को अगर बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया तो प्लास्टिक वेस्ट का प्रबंधन आसान होगा.



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