ज्यादा पानी पीने से मौत का खतरा? जानें क्या कहती है स्टडी
कोरोना संक्रमण के दौर में एहतियात के लिए चिकित्सक लगातार हाइड्रेशन पर जोर दे रहे हैं
कोरोना संक्रमण के दौर में एहतियात के लिए चिकित्सक लगातार हाइड्रेशन (importance of hydration during coronavirus pandemic) पर जोर दे रहे हैं. इधर बीते कुछ दिनों में पारा ऊपर जाने के कारण वैसे ही लोग खूब पानी-जूस पीने लगे. हालांकि अतिरिक्त पानी पीना भी कई खतरों को बुलावा है, यहां तक कि कई बार ये मौत की वजह भी बन सकता है. इसे वॉटर इनॉक्सिकेशन (water intoxication) या वॉटर पॉइजनिंग (water poisoning) भी कहते हैं.
कितना पानी जानलेवा हो सकता है?
अभी तक ऐसा कोई डाटा नहीं मिला है, जो बता सके कि अधिकतम कितना पानी मौत या अस्पताल जाने की नौबत ला सकता है लेकिन अनुमान है कि लगातार कई घंटों तक हर घंटे एक लीटर या ज्यादा पानी पिया जाना खतरनाक है. ये पानी का ओवरडोज है, जो शरीर में खून में ऑक्सीजन संतुलन गड़बड़ा देता है.
कुछ सालों पहले कैलीफोर्निया में 28 साल की एक स्वस्थ युवती की पानी के ओवरडोज से मौत हो गई. साइंटिफिक अमेरिकन वेबसाइट में इस घटना का हवाला है. असल में युवती एक प्रोग्राम में पानी पीने की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आई थी. Hold Your Wee for a Wii नाम के इस प्रोग्राम में आकर उसने तीन घंटे में 6 लीटर पानी पी डाला. जेनिफर स्ट्रेंज नामक इस प्रतियोगी को कुछ ही समय में उल्टियां होने लगीं, तेज सिरदर्द शुरू हुआ और अगले ही रोज उसकी मौत हो गई. इसकी वजह वॉटर इनटॉक्सिकेशन बताई गई, यानी जरूरत से ज्यादा पानी पीना.
धावकों पर दिखता है असर
ख्यात विज्ञान पत्रिका न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (New England Journal of Medicine) ने शरीर में अतिरिक्त पानी जाने पर क्या होता है- इसपर एक शोध किया. इसमें पाया गया कि मैराथन धावकों का छठां हिस्सा किसी न किसी तरह से हाइपोनेट्रिमिया (hyponatremia) का शिकार होता है, यानी उनके शरीर में पानी के ज्यादा होने की वजह से खून पतला हो जाता है और ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित होता है.
क्या है हाइपोनेट्रिमिया
हाइपोनेट्रिमिया लैटिन और ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है खून में लवण की कमी का होना. सोडियम कम होना टर्म तो बहुतों ने सुना होगा. ये वही है. शरीर में पानी की अधिकता होने पर शरीर में सोडियम घट जाता है. हालांकि सोडियम कम होने के लिए कई बार दूसरी चीजें और कई बीमारियां भी जिम्मेदार होती हैं, लेकिन पानी की अधिकता भी इसका एक कारण है.
खून में कितना होता है सोडियम
एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रति लीटर खून में 135 से 145 मिलीमोल्स सोडियम कंसेंट्रेशन होना चाहिए. हाइपोनेट्रिमिया में 135 से भी कम हो जाता है. ऐसे में होता ये है कि किडनियां ज्यादा पानी को प्रक्रिया में नहीं ले पातीं. किडनियों से न छन पाने के कारण ये पानी खून में शामिल होकर खून को पतला करने लगता है. खून के साथ ही ये कोशिकाओं में शामिल हो जाता है, जिससे सूजन के लक्षण दिख सकते हैं.
इतना काम कर पाती हैं किडनियां
दरअसल होता ये है कि हमारी किडनियां इस तरह से बनी हैं, जो दिनभर में 20 से 28 लीटर पेशाब के जरिए बाहर निकाल सकती हैं. इस तरह से वे प्रतिघंटे केवल 1 लीटर के लगभग पानी फ्लश कर सकती हैं. ऐसे में एक 1 लीटर से ज्यादा पानी पिया जाएं तो किडनियों पर दबाव काफी ज्यादा हो जाता है, और उनकी काम की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में ही खून पतला होने लगता है.
क्या हैं पानी की अधिकता के लक्षण
सोडियम की कमी से मरीज को सिरदर्द, थकान, मितली, बार-बार पेशाब जाना जैसे लक्षण दिखते हैं. थकान बहुत बढ़ जाती है. और सोडियम की जांच तुरंत न हो तो मरीज याददाश्त जाने या मस्तिष्क-संबंधी किसी बीमारी का शिकार हो सकता है.
ये है ओवरहाइड्रेशन
वैसे हाइपोनेट्रिमिया से पहले एक और स्थिति आती है, जिसे पार करने के बाद ही मरीज यहां पहुंचता है, इसे ओवरहाइड्रेशन कहा जाता है. ज्यादा पानी पी लेने की वजह से अगर शरीर के तापमान में बदलाव हो, मल-मूत्र से जुड़ी समस्याएं होने लगें और अपच जैसे लक्षण दिखते हैं, तो इन्हें ओवरहाइड्रेशन माना जा सकता है. तभी ध्यान दिया जाए तो ठीक है, वरना हालात जानलेवा हो सकते हैं.
यही कारण है कि बार-बार शरीर, काम और उम्र की जरूरत के मुताबिक पानी पीने को कहा जाता है. ये मात्रा सबके हिसाब से कम-ज्यादा होती है. इसके अलावा गर्मी के समय, जबकि ज्यादा पसीना आता है, खून में सोडियम की मात्रा बनाए रखने के लिए नमक-शक्कर पानी पीने की सलाह भी दा जाती है.