शोध से खुलासा टाइप-2 डायबिटीज की दवा से कम होता है कोविड-19 का खतरा

मोटापा और टाइप-2 मधुमेह के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा से कोविड-19 के खतरे को भी कम किया जा सकता है। इ

Update: 2021-09-29 10:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबङेस्क | मोटापा और टाइप-2 मधुमेह के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा से कोविड-19 के खतरे को भी कम किया जा सकता है। इस दवा के इस्तेमाल से टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित वैसे रोगी जो कोविड-19 से पीड़ित हैं, उन्हें उनके अस्पताल में भर्ती होने, सांस लेने में आने वाली दिक्कतों का खतरा कम हो सकता है।

'डायबिटीज' पत्रिका में मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन में पता चला है कि वायरल बीमारी से पीड़ित होने से छह महीने पहले अगर रोगी ने यह दवा ली है, तो उसमें कोविड-19 का खतरा कम हो जाता है।

अमेरिका में पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित करीब 30 हजार रोगियों के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया, जो जनवरी और सितंबर 2020 के बीच कोरोना से पीड़ित पाए गए थे।

अध्ययन में बताया गया कि दवा ग्लूकागोन-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर (जीएलपी-1आर) का और परीक्षण किया जाना चाहिए कि क्या वह कोविड-19 की जटिलताओं के खिलाफ संभावित सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

पेन स्टेट में प्रोफेसर पैट्रिसिया ग्रिगसन ने कहा, हमारे निष्कर्ष काफी उत्साहजनक हैं। क्योंकि, जीएलपी-1आर काफी सुरक्षा प्रदान करने वाला प्रतीत होता है, लेकिन इन दवाओं का इस्तेमाल और टाइप-2 मुधमेह से पीड़ित रोगियों में कोविड-19 के गंभीर खतरे को कम करने के बीच संबंध स्थापित करने के लिए और शोध की जरूरत है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती किए जाने व मौत से बचने के लिए टीका सबसे अधिक प्रभावी सुरक्षा है। लेकिन विरल, गंभीर संक्रमण से पीड़ित रोगियों की हालत में सुधार के लिए अतिरिक्त प्रभावी उपचार की आवश्यकता है। ब्रिटेन में हाल में एक अध्ययन में बताया गया कि देश में कोविड-19 के कारण जितने लोगों की मौत हुई, उनमें से करीब एक तिहाई टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित थे।



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