गर्भवती महिलाओं को इन चीजों से हो सकता हैं खतरा, बरते सावधनी

महिलाओं के जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव है, गर्भावस्था। एक नए जीवन को अस्तित्व में लाना और नौ माह तक उसे अपने शरीर में विकसित करके बाहरी दुनिया में आकर विकास करने का अवसर देना इस प्रक्रिया का परिणाम होता है।

Update: 2021-11-24 12:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महिलाओं के जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव है, गर्भावस्था। एक नए जीवन को अस्तित्व में लाना और नौ माह तक उसे अपने शरीर में विकसित करके बाहरी दुनिया में आकर विकास करने का अवसर देना इस प्रक्रिया का परिणाम होता है। मां और गर्भस्थ शिशु दोनों ही इस दौरान कई चुनौतियों से गुजरते हैं। इन चुनौतियों में शामिल होती हैं प्रदूषण और संक्रमण जैसी स्थितियां भी। आजकल एक और स्थिति इनमें शामिल हो चुकी है कोरोना की। हालांकि कोरोना काल में भी पूरी सावधानियों के साथ गर्भवती महिलाओं ने सामान्य स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। यहां तक कि वे माएं जो खुद गर्भावस्था के दौरान कोरोना पीड़ित थीं उन्होंने भी पूरी सतर्कता रखते हुए स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। कहने का मतलब यही है कि अगर सावधानी और सतर्कता रखी जाए तो बच्चा और मां दोनों के स्वस्थ रहने को सुनिश्चित किया जा सकता है। इसी कड़ी में आता है यूटीआई संक्रमण भी। इसका मतलब है यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (पेशाब की नली से सम्बंधित संक्रमण)। महिलाओं में यह संक्रमण बहुत आम है और किसी भी महिला को यह हो सकता है। सामान्यतौर पर यह इंफेक्शन दवाइयों से ठीक भी हो जाता है लेकिन गर्भावस्था के दौरान इसके कारण स्थिति अधिक गम्भीर हो सकती है। इसलिए इस दौरान खास ख्याल रखना जरूरी है।

आपसे से जुड़ी बच्चे की सेहत
एक गर्भवती महिला का शरीर और मन दोनों ही स्तरों पर स्वस्थ रहना जरूरी है। यह मां और होने वाले शिशु दोनों के लिए अच्छा होता है। इस अवस्था में होने वाला इंफेक्शन मां के साथ साथ गर्भस्थ शिशु पर भी बड़ा और खतरनाक असर डाल सकता है। शोध बताते हैं कि यूटीआई का होना पीरियड्स, गर्भावस्था और डायबिटीज आदि जैसी स्थितियों में ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
दवाई देने में भी खतरा
सबसे बड़ी मुश्किल यही होती है। आमतौर पर इस संक्रमण के होने पर तुरन्त दवाई देकर संक्रमण को रोका जा सकता है लेकिन गर्भावस्था के दौरान बेवजह सामान्य सिरदर्द या एसिडिटी तक की गोली लेने से बचने की सलाह दी जाती है। ऐसे में भारी एंटीबायोटिक्स को लेने से बचने में ही भलाई होती है। फिर इन दवाइयों के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जो और तकलीफ दे सकते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान सर्दी जुकाम, संक्रमण आदि से बचाव की बात कहते हैं।
जन्मगत विकारों का खतरा
बाकी सारी दिक्कतों के अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान अगर यूटीआई होता है तो इसके लिए दी जाने वाली एंटीबायोटिक्स बच्चे के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती हैं। खासकर ट्राइमेथोप्रिम सल्फामेथॉक्सिजोल तथा नाइट्रोफ्यूरेन्टोइन जैसी दवाओं को दुनियाभर के शोधकर्ता जन्मगत विकारों से जुड़ा हुआ बता चुके हैं। उस पर पहली तिमाही यानी फर्स्ट ट्राइमेस्टर में इन दवाइयों के कारण गर्भस्थ शिशु के दिल, दिमाग और चेहरे से संबंधित विकार की आशंका बढ़ सकती है। इसलिए जरूरी है कि संक्रमण को आने से रोकने का पूरा प्रयास हो। ताकि दवाई लेनी ही न पड़े। सबसे पहले तो अपने पानी के रोज के इंटेक को सही रखें। सर्दी और बारिश के मौसम में प्यास कम लगती है लेकिन इस समय भी आपको पर्याप्त पानी पीना ही है। पानी के अलावा नारियल पानी, मौसम के अनुसार पानी से भरपूर फल, दूध, दही, छाछ, आदि का भी सेवन करें।
चाहे कोई भी मौसम हो, जब तक डॉक्टर आपको नहाने के लिए मना नहीं करें, रोज नहाएं जरूर। अगर किसी वजह से नहा नहीं पाएं तो भी सारे कपड़े बदलें और धुले हुए कपड़े ही पहनें।अपने निजी अंगों की साफ-सफाई और हाइजीन का खास ध्यान रखें। प्राइवेट पार्ट्स यानी निजी अंगों को हमेशा ऊपर से नीचे की ओर ही साफ करें। इसका उल्टा करने पर कई बार इंफेक्शन हो सकता है। यह बात हमेशा ध्यान में रखें।
अंडरगारमेंट्स यानी अंगवस्त्रों (अंडरगार्मेंट्स) को रोज बदलें और साफ रखें। यह एक बहुत जरूरी कदम है। कई बार गर्भवती महिलाओं को स्पॉटिंग या ब्लीडिंग भी हो सकती है ऐसे में सैनेटरी पैड्स भी यूज करने पड़ सकते हैं। इस दौरान भी पूरे समय सफाई और हाइजीन का ध्यान रखें।
वैसे तो अभी कोरोना की वजह से लोग कम ही बाहर निकल रहे हैं लेकिन अगर डॉक्टर के क्लिनिक या किसी लैब आदि में या अन्य जगह जाना भी पड़े तो पब्लिक बाथरूम का इस्तेमाल बहुत सोच समझकर करें। अगर जरूरत पड़ ही जाए तो प्रयोग से पहले उस जगह पर अच्छे से पानी डालें, इंडियन स्टाइल टॉयलेट को प्राथमिकता दें और यहां भी अपने निजी अंगों को साफ पानी से अच्छे से धोएं। अगर किसी कारण से लंबी यात्रा करनी पड़े तो अपने साथ साफ पानी जरूर रखें। यह सामान्य कदम भी आपको और आपके बच्चे को गम्भीर खतरे से बचा सकता है।
डायबिटीज को रखें कंट्रोल में
चाहे आप पहले से डायबिटीज की मरीज हैं या गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबटीज की शिकार हुई हैं, दोनों ही स्थितियों में आपके लिए यूटीआई का खतरा और भी बढ़ सकता है। इसलिए अपने शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें। डॉक्टर की सलाह से दवाइयों, डाइट और हलकी-फुलकी एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या से जोड़ें। हर तीन महीने में शुगर लेवल चैक करवाएं।
पहनावा भी रखता है मायने
वैसे तो आजकल बाजार में खास मैटरनिटी ड्रेसेस भी उपलब्ध हैं लेकिन असल में गर्भावस्था के दौरान कोई भी आरामदायक पहनावा अपनाना चाहिए। टाइट कपड़े या ऐसे सिंथेटिक कपड़े जिनमे हवा आपकी स्किन तक न पहुंच पाए, मुश्किल को बढ़ा सकते हैं। खासकर आजकल पहनी जाने वाली लैगिंग्स या जेगिंग्स जो कई बार टाइट होने या खराब मटेरियल की होने के कारण संक्रमण के आने के लिए अनुकूल स्थिति बना देती हैं। तो, जहां तक हो सके, ढीले और कॉटन के कपड़े ही पहनें।


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