नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती पर लोगों ने भेजें ये विचार, जानिए

भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है.

Update: 2022-01-22 15:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है. सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा में कटक में हुआ था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर हम आपको उनके विचारों के बारे में बता रहे हैं.

'ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए.'

मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है कि मुझे यह आशा है कि कोई-न-कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती.

मुझे आपको याद दिलाना है कि आपको दो गुना कार्य करने हैं. हथियारों के बल और अपने खून की कीमत पर आपको स्वतंत्रता हासिल करनी होगी. फिर, जब भारत स्वतंत्र होगा, तो आपको स्वतंत्र भारत की स्थायी सेना को संगठित करना होगा. जिसका कार्य हर समय अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखना होगा. हमें अपनी राष्ट्रीय रक्षा ऐसी अटल नींव पर बनानी होगी, ताकि हम इतिहास में फिर कभी अपनी स्वतंत्रता न खोयें.

भारत पुकार रहा है, रक्त रक्त को पुकार रहा है. उठो, हमारे पास व्यर्थ के लिए समय नहीं है. अपने हथियार उठा लो, हम अपने दुश्मनों के माध्यम से ही अपना मार्ग बना लेंगे या अगर भगवान की इच्छा रही, तो हम एक शहीद की मौत मरेंगे.

गुलाम लोगों के लिए आजादी की सेना में पहला सैनिक होने से बड़ा कोई गौरव, कोई सम्मान नहीं हो सकता है.

भावना के बिना चिंतन असंभव है. यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता. बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं। परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते.

मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है कि मुझे यह आशा है कि कोई-न-कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती.


मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया. यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है. कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है. मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया. यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया, तो यह जीवन व्यर्थ है. इसकी क्या सार्थकता है?मैं जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता.अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है.. . .

सफलता, हमेशा असफलता के स्तम्भ पर खड़ी होती है.

''एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा: सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान. जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो.''

'ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए.'

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