पैरेंट्स को बच्‍चे का बनाना है एक अच्‍छा इंसान तो, जरूर सिखाएं ये 5 शब्‍द

अपने बच्‍चों को ये मैनर्स जरूर सिखाएं ताकि कल को आप खुद अपनी परवरिश पर गर्व महसूस कर सकें।

Update: 2022-05-23 04:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बच्‍चे शैतानी करे तो अच्छे है लेकिन बतमीजी करने वाले बच्चे किसी को पसंद नहीं आते। ऐसे में पैरेंट्स की परवरिश पर सवाल उठते है। पैरेंट्स को बच्‍चों को तमीज या मैनर्स जरूर सिखानी चाहिए। बच्‍चों का मन और दिमाग कोरे कागज की तरह होता है। आप उस पर जो भी लिखते हैं, वो वैसे ही बन जाते हैं इसलिए आप बच्‍चे को जो भी सिखाएंगे, वो उसे सीख लेगा। इसलिए पैरेंट्स को बच्‍चे को अच्‍छी आदतें सिखाने की ही कोशिश करनी चाहिए। बच्‍चे को विनम्र और सभ्‍य बनाकर, आप ना सिर्फ उसे एक अच्‍छा इंसान बनने में मदद कर रहे हैं बल्कि इसका फायदा उसे अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में भी होगा। यहां हम आपको कुछ ऐसे शब्‍द या मैनर्स बता रहे हैं, जिन्‍हें सीखने पर बच्‍चे विनम्र और सभ्‍य बनते हैं। अपने बच्‍चों को ये मैनर्स जरूर सिखाएं ताकि कल को आप खुद अपनी परवरिश पर गर्व महसूस कर सकें।

नो, थैंक्‍यू
जब कोई प्‍यार से आपको कोई चीज या हेल्‍प ऑफर करता है लेकिन आपको वो चीज नहीं चाहिए होती है तो उसके के लिए सीधे इनकार करने की बजाय विनम्रता के साथ 'नो, थैंक्‍यू' बोलना है।
​येस, प्‍लीज
जब कोई आपसे किसी चीज की परमिशन मांगता है, तो उसका जवाब येप, युप में ना देकर येस प्‍लीज में देना चाहिए। जब बच्‍चा अपने व्‍यवहार में इन चीजों को लाना शुरू करेगा, तो लोग खुद कहेंगे कि आपने अपने बच्‍चे को बहुत अच्‍छी परवरिश दी है। लेकिन आपको यहां एक बात का ध्‍यान रखना है कि बच्‍चे अपने पैरेंट्स को देखकर ही सीखते हैं इसलिए आप जो करेंगे, बच्‍चा भी वैसा ही व्‍यवहार करेगा। बच्‍चे को कोई आदत सिखाने से पहले आपको खुद उसे अपनाना होगा।
प्‍लीज कहना
किसी से कोई चीज मांगने, रिक्‍वेस्‍ट करने या मदद मांगने पर बच्‍चे को प्‍लीज बोलना सिखाएं। इससे पता चलता है कि बच्‍चा कितना सभ्‍य और संस्कारी है।
थैंक्‍यू
थैंक्‍यू शब्‍द बच्‍चों की ही नहीं बल्कि बड़ों की डिक्‍शनरी में भी शामिल होना चाहिए। मदद या कोई चीज मिलने या काम पूरा होने पर थैंक्‍यू जरुर बोलना सिखाएं।
सॉरी कहना
बच्‍चों को सॉरी कहने का मतलब नहीं पता होता। उसे बताएं कि कोई गलती करने पर या आपकी वजह से किसी को तकलीफ होने पर सॉरी बोला जाता है। अपनी गलती को इग्‍नोर करने की बजाय उसे स्‍वीकार करें और सॉरी बोलें।
​मे आई, प्‍लीज
यदि बातचीत के दौरान बच्‍चे को बोलने का मौका नहीं मिल पा रहा है, तो उसे बीच में बोलना शुरू करने की बजाय इंतजार करना चाहिए और फिर आराम से 'मे आई, प्‍लीज' कह कर अपनी बात शुरू करनी चाहिए।


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