भारत में मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इससे लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि मोटापा वैश्विक समस्या नहीं बल्कि एक बीमारी के रूप में उभर रहा है. भारत में लोग इसे एक समस्या मानते हैं जबकि मोटापा एक तरह की बीमारी है। अगर मोटापे को एक बीमारी माना जाए तो लोग इससे दूर रहने की बेहतर कोशिश करेंगे।
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर कहते हैं कि भारत में अगर बीएमआई 23 से ऊपर है तो ओवरवेट है, लेकिन अगर इसका लेवल 30 से ऊपर चला जाता है तो स्थिति मोटापे की हो जाती है. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि मोटापे को हल्के में लेने से शरीर के किन अंगों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
खराब हृदय स्वास्थ्य
डॉ. जुगल कहते हैं कि हमें मोटापे को एक बीमारी ही समझना चाहिए। इसका सबसे बुरा असर दिल पर पड़ता है। क्योंकि हृदय पर चर्बी जमा होने के कारण वह ठीक से काम नहीं कर पाता है। ऐसे में स्ट्रोक का खतरा रहता है। इसके अलावा सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है। दिल की सेहत पर असर पड़ने पर सांस लेने की व्यवस्था बिगड़ जाती है और हम आराम से सांस नहीं ले पाते हैं। दिल के आसपास चर्बी जमा होने से धमनियां परेशान हो जाती हैं।
घुटने के दर्द
डॉ. जुगल कहते हैं कि जब हम लगातार वजन उठाते हैं तो हमारे जोड़ों में दर्द होने लगता है। ठीक ऐसा ही शरीर के वजन के साथ भी है। अगर शरीर का वजन ज्यादा बढ़ जाए तो जोड़ों में दर्द होता है। पैरों का स्वास्थ्य न बिगड़े इसके लिए शुरू से ही नियंत्रण में रहना चाहिए।
जिगर और गुर्दे की क्षति
डॉ. जुगल कहते हैं कि अगर शरीर के अहम अंगों किडनी और लीवर पर चर्बी जमा होने की शिकायत हो सकती है. यह फैट एक तरह का दबाव बनाता है जिससे ये अंग ठीक से काम नहीं कर पाते हैं। फैटी लिवर की स्थिति भी ऐसी ही होती है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह घातक स्थिति, लिवर फेलियर का कारण बन सकती है।
मर्दानगी की समस्या
क्या आप जानते हैं कि मोटापा भी शुक्राणुओं की गुणवत्ता को कम करता है। इसे ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है और विशेषज्ञों के अनुसार मोटे लोगों में शुक्राणु कम बनते हैं। शुगर बढ़ने से डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है।