कोई भी पार्टी चुनावी घोषणा पत्र रिलीज करती है…लेकिन नहीं लिखा जा सकता ये सब

लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, चुनाव से पहले एक चीज सबसे ज्यादा खबरों में रहती है

Update: 2021-03-14 14:15 GMT

लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, चुनाव से पहले एक चीज सबसे ज्यादा खबरों में रहती है और वो चुनावी घोषणा पत्र. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भी इसकी काफी चर्चा हो रही है. दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर टीएमसी को आज यानी रविवार को अपना जारी करना था, लेकिन पार्टी ने इसे रिलीज करने से मना कर दिया है. वैसे ये दूसरी बार है जब टीएमसी ने अपने मेनिफेस्टो रिलीज को टाल दिया है. अब जल्द ही घोषणा पत्र रिलीज करने की तारीख का ऐलान किया जाएगा.

ऐसे में फिर से घोषणा पत्र पर चर्चा होना शुरू हो गई है और हर बार बात होती है कि राजनीतिक पार्टियां अपने कितने चुनावी वादे पूरा कर पाती हैं. कई लोगों का आरोप होता है कि पार्टियां चुनावी घोषणा पत्र में कुछ भी वादे कर देती हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद बहुत कम वादे ही पूरे हो पाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं हर पार्टी के लिए घोषणा पत्र जारी करने को लेकर नियम होते हैं और उनके दायरे में ही पार्टियां वादे कर सकती हैं. ऐसे में आज हम आपको बता रहे हैं कि चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार पार्टी घोषणा पत्र में क्या क्या नहीं लिख सकती हैं और उन्हें किन-किन नियमों का पालन करना होता है…
क्या होता है घोषणा पत्र?
Manifesto इटली का शब्द है, जो लैटिन भाषा के anifestum शब्द से बना है. 'मैनीफेस्टो' शब्द का पहली बार प्रयोग अंग्रेजी में 1620 में हुआ था. वैसे सार्वजनिक रूप से अपने सिद्धान्तों, इरादों व नीति को प्रकट करना घोषणा पत्र कहलाता है. राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव में जाने से पहले लिखित डॉक्यूमेंट जारी किया जाता है, इसमें पार्टियां बताती है कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे किन योजनाओं को प्राथमिकता देंगी और कैसे कार्य करेंगी. अब पार्टियों ने अलग अलग नाम से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है, जिसमें विजन डॉक्यूमेंट, संकल्प पत्र आदि शामिल है.
क्या कहते हैं चुनाव आयोग के नियम?
बता दें कि संविधान का आर्टिकल 324 चुनाव आयोग को लोकसभा और विधानसबा चुनाव के संचालन का अधिकार देता है. वहीं, चुनाव आयोग पार्टियों और उम्मीदवारों को लेकर कई नियम तय करता है, जिनके आधार पर ही चुनाव लड़े जा सकते हैं. इसमें हर पार्टी के लिए नियम होते हैं और उन्हीं नियमों के आधार पर पार्टियां या उम्मीदवार प्रचार कर सकते हैं. इनमें घोषणा पत्र को लेकर भी कई नियम हैं.
चुनाव आयोग के अनुसार, घोषणा पत्र में ऐसा कुछ नहीं हो सकता, जो संविधान के आदर्श और सिद्धांत से अलग हो और या आचार संहिता के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ना हो. साथ ही चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों में लिखा है कि राजनीतिक पार्टियों को ऐसे वादे करने से बचना चाहिए, जिनसे चुनाव प्रक्रिया के आदर्शों पर कोई असर पड़े या उससे किसी भी वोटर के मताधिकार पर कोई प्रभाव पड़ता हो.
साथ ही इन नियमों में लिखा गया है कि घोषणा पत्र में किए गए वादों के पीछे कोई तर्क या आधार होना चाहिए और इन वादों को पूरा करने के लिए आवश्यक वित्त की पूर्ति करने के साधनों को लेकर जानकारी दी जानी चाहिए. साथ ही कहा गया है कि वोटर्स का विश्वास केवल उन्हीं वादों पर मांगा जाना चाहिए जो कि पूरे किए जाने संभव हो.


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