बायोलॉजिकल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक खोज के अनुसारगर्भावस्था के दौरान मोबाइल का उपयोग करने से मां के ऊपर मानसिक एवं शारीरिक असर पड़ रहा है। मोबाइल फोन के ज्यादा उपयोग से महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार कार्टिसोल स्ट्रेस हार्मोन के ज्यादा उत्सर्जन का कारण होता है। गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के 1 साल बाद तक इसका असर बना रहता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को तरह-तरह के विचार आते हैं। उनका गुस्सा भी बढ़ने लगता है। बच्चे को लेकर भी गलत विचार और आशंका बढ़ने लगती है।
विशेषज्ञों के अनुसार इसका असर बच्चे पर भी पड़ताहै। मनोचिकित्सकों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के बाद 10 में से 2 महिलाएं डिप्रेशन का शिकार पाई जा रही हैं। ऐसी महिलाओं का समय पर इलाज कराना जरूरी है। साथ ही महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सोशल मीडिया और मोबाइल का उपयोग कम से कम करना चाहिए। यह सलाह विशेषज्ञों द्वारा दी गई है