वजन घटाने के लिए बाजरे का प्रयोग किया जाता
फाइबर की अच्छी मात्रा होने के कारण बाजरा को वजन कम (weight loss) करने वाले आहारों की सूची में शामिल किया जाता है। बाजरा का सेवन करने से आपको ऊर्जा मिलती है
जनता से रिश्ता। फाइबर की अच्छी मात्रा होने के कारण बाजरा को वजन कम (weight loss) करने वाले आहारों की सूची में शामिल किया जाता है। बाजरा का सेवन करने से आपको ऊर्जा मिलती है और यह लंबे समय तक आपकी भूख नियंत्रित करता है। इसके अलावा बाजरा में कोलेस्ट्रोल को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता (insulin sensitivity) बढ़ाने की क्षमता के कारण यह आपके वजन को कम करने में मदद करता है।
बाजरा के लाभ त्वचा के लिए के लिए
एंटीऑक्सीडेंट और फिनोलिक्स जो बाजरा में अच्छी मात्रा में होते हैं जो बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए जाने जाते हैं। बाजरा में एंटीमाइक्रोबायल और एंटी-इन्फ्लामेट्री गुण भी होते हैं जो उम्र बढने के कारण कोशिकाओं की क्षति को कम करते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि बाजरा में पाए गए पॉलीफेनॉल, कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाते हैं और आपकी त्वचा को स्वस्थ्य व युवा बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके साथ ही बाजरा आपके पाचन तंत्र (digestive system) को ठीक करने के साथ ही यह आपकी नींद की गुणवत्ता को भी सुधारता है।
बाजरा के गुण घावों को ठीक करने के लिए
आप अपने घावों का उपचार करने के लिए बाजरा और पानी के मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं। बाजरा कोलेजन की वृद्धि करने के लिए जाना जाता है जो घाव का उपचार करने में मदद करता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि कुछ दिन तक नियमित रूप से बाजरा (millet) का उपयोग करने से चूहों के घाव को जल्दी ठीक करने में सफलता मिली है।
मां के दूध (breast milk) को बढ़ाने के लिए बाजरा का उपयोग पारंपरिक रूप से किया जाता है।
लेंकिन इसके अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह मां के दूध में वृद्धि कर सकता है। कई उपयोगकर्ता यह मानते हैं कि इसमें उपस्थित लैक्टोजेनिक (lactogenic) गुणों के कारण यह महिलाओं में दूध उत्पादन को बढ़ाता है।
बाजरा खाने के फायदे रक्तचाप को कम करने में
मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा बाजरा मे होती है जो मांसपेशियों (muscles) को आराम देता है।बाजरा का नियमित सेवन करने से रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है साथ ही यह अस्थमा की गंभीरता और माइग्रेन के आवृत्ति (frequency) को भी कम करता है।
बाजरा खाने के नुकसान
कम मात्रा में बाजरा का सेवन करने से कोई नुकसान नहीं होता है
लेकिन यदि इसका ज्यादा मात्रा में सेवन किया जाए तो यह बहुत सी परेशानियों का कारण बन सकता है। जो इस प्रकार है :
बाजरा में गोइट्रोजन होता है जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को उत्तेजित करता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन थायरॉयड की समस्या का कारण बन सकता है।
अधिक मात्रा में बाजरा का सेवन करने से आपकी त्वचा रूखी हो सकती है।
बाजरे का अधिक उपयोग घेंघा चिंता, तनाव और सोचने की क्षमता मे कमी का कारण बन सकता है।
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बाजरे का वैज्ञानिक नाम पेन्नीसेतुम ग्लौकम है. बाजरा एक ऐसी फसल है जिसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों या उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उपजाया जा सकता है. भारत में बाजरे की खेती उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब आदि में होती है. बाजरे का प्रयोग हमारे यहां परंपरागत रुप से होता आया है. इसका मुख्य उपयोग हमारे यहां दलिया, ब्रेड और स्नेक्स बनाने में किया जाता है. इसका कारण यह है कि बाजरे में अन्य अनाजों की तुलना में स्टार्च की मात्रा अधिक होती है.
बाजरे में पाए जाने वाले तमाम पोषक तत्वों में विटामिन, खनिज और कई कार्बनिक यौगिक हैं. लोहा, पोटेशियम, जस्ता, कैल्शियम, विटामिन बी और मैग्नीशियम इसके अलावा बाजरा, प्रोटीन और फाइबर से भी भरपूर होता है. इसलिए बाजरा अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक बेहतर खाद्य विकल्प माना जाता है. आईए बाजरे के फायदे और इसके नुकसान को जानते हैं.
वजन कम करने में
वजन घटाने के लिए बाजरे का प्रयोग किया जाता है. इसका कारण बाजरे में ट्रिप्टोफैन नाम का एक एमिनो एसिड पाया जाता है. यह भूख को कम करने का काम करता है. इससे वजन कम करने में मदद मिलती हैं. यही नहीं ये एमिनो एसिड खाना धीमी गति से पचाता है. जिससे कि हमें लंबे समय तक पेट भरे जाने का एहसास होता है. बाजरे में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला फाइबर भी हमें लंबे समय तक पेट भरे रहने का एहसास कराता है. इसलिए वजन कम करने वाले लोगों के लिए बाजरा एक बेहतर खाद्य विकल्प है.
विषाक्त पदार्थों को दूर करने में
बाजरे में भी एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे शरीर से फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को नष्ट करने के साथ-साथ किडनी और लीवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में भी सहायक होते हैं. बाजरे में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स में क्वेरसेटिन, करक्यूमिन, कैटींस और इलैजिक एसिड इलायची केसेट और कैटरीना प्रमुख हैं. इन एंटीऑक्सीडेंट्स का काम मल त्यागने और एंजाइमिक गतिविधियों को ख़त्म करके, गंदगी को शरीर से दूर ले जाने का है.
हृदय की विकारों के लिए
बाजरे का प्रयोग ह्रदय से संबंधित विकारों को दूर करने और हृदय को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है. बाजरे में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. मैग्नीशियम का काम धमनियों को सख्त होने से बचाना है. बाजरे में पोटेशियम की भी अच्छी-खासी मात्रा पाई जाती है. यह हमारे रक्त वाहिका तंत्र में सुधार लाता है. इसके अलावा भी बाजरे में पाए जाने वाले पोषक तत्व हृदय के स्वास्थ्य और इसके लिए आवश्यक पदार्थों को पूरा करते हैं.
कैंसर के उपचार में
स्तन कैंसर को दूर करने में भी बाजरा सखी सक्रिय भूमिका निभा सकता है. इसके लिए महिलाओं को रोजाना 30 ग्राम से फाइबर का सेवन करना होता है. जो कि आपको बाजरे में आसानी से मिल जाएगा फाइबर से फाइबर के सेवन से स्तन कैंसर होने की संभावना 50% तक कम होती है.
अनिद्रा में
बाजरा में ट्रिप टू प्रेम पाया जाता है. इसका काम हमारे शरीर में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाना है. सेरोटोनिन हमारे शरीर में तनाव को दूर करने का काम करता है. इसलिए बाजरे का सेवन हमें शांतिपूर्ण नींद के लिए आवश्यक है.
अस्थमा में
अस्थमा के मरीजों के लिए भी बाजरा एक अच्छा खाद्य विकल्प साबित होता है. बाजरे का नियमित सेवन अस्थमा पीड़ितों के लिए काफी लाभदायक होता है. इससे अस्थमा के मरीजों की कई परेशानियां कम होती हैं.
पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में
बाजरा हमारे शरीर में पाचन तंत्र के सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है. बाजरे हमारा बाजरा हमारे जठर तंत्र को दुरुस्त करके कब्ज, पेट फूलने, और गैस जैसी समस्याओं को दूर करता है. इसके अलावा बाजरा हमारे शरीर में पोषक तत्वों के स्तर को भी बनाए रखता है.
कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण में
कोलेस्ट्रोल का हमारे शरीर में अनियंत्रित हो जाना कई तरह की परेशानियों को उत्पन्न करता है. बाजरे में पाया जाने वाला फाइबर खराब कोलेस्ट्रोल को खत्म करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल के प्रभाव को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होता है.
त्वचा के लिए
बाजरे में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं. ये हमारे शरीर की त्वचा में पड़ने वाली झुर्रियों और उम्र बढ़ाने वाले अन्य लक्षणों को लक्षण खत्म करता है. क्योंकि इसके सेवन से कोशिकाओं को पुनर्जीवन मिलता है. इसके अलावा बाजरे में अमीनो एसिड भी पाया जाता है. जोकि कोलेजन के निर्माण करने में और ऊतकों को संरचना देने में काफी मददगार होते हैं. इसकी सहायता से त्वचा में लचीलापन भी आता है. बाजरे में पाए जाने वाले विटामिन ई विटामिन सी और सेलेनियम जैसे तत्व हमारी त्वचा को कैंसर और सूर्य किरणों से होने वाली क्षति की भरपाई करते हैं.
शुगर के उपचार में
शुगर एक बेहद गंभीर बीमारी है. बाजरा में शुगर को दूर करने की क्षमता होती है. यह विशेष रुप से टाइप-2 मधुमेह को कम करने में फायदेमंद साबित होता है. बाजरे में मैग्नीशियम भी पाया जाता है मैग्नीशियम शरीर में इंसुलिन और और ग्लूकोज रिसेप्टर की क्षमता बढ़ाने में उपयोगी है. एक अध्ययन के अनुसार मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से मधुमेह की संभावना में 30% तक कमी हो सकती है.
बालों के लिए
बालों को मजबूत करने और इसे स्वस्थ रखने में भी बाजरे की भूमिका महत्वपूर्ण है. बाजरे में पाया जाने वाला केराटिन प्रोटीन बालों के प्रत्येक किनारे की संरचना को बनाए रखने में सहायक है. बाजरे के सेवन से बालों के झड़ने की समस्या खत्म हो सकती है. इसके अलावा बाजरा, रूसी, सूजन, एक्जिमा आदि समस्याओं को भी दूर करने में काफी मददगार होता है. बाजरा को गंजेपन से भी बचा सकता है.
बाजरा के नुकसान
यदि आपके शरीर में बाजरा को पचाने में अधिक समय लगता है. तो आपके लिए से नुकसान भी हो सकता है.
बाजरे के इस्तेमाल से आपको घेंघा और थायराइड जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. क्योंकि बाजरा आयोडीन के शोषण को बाधित करता है.
हाइपोथायरायडिज्म पीड़ित व्यक्ति बाजरे के सेवन से बचें.
बाजरा- वैज्ञानिक नाम"पेनिसिटम टाईफाॅइडिस यह एक प्रमुख फसल है। एक प्रकार की बड़ी घास जिसकी बालियों में हरे रंग के छोटे छोटे दाने लगते हैं। इन दानों की गिनती मोटे अन्नों में होती है। प्रायाः सारे उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में लोग इसे खाते हैं। बाजरा मोटे अन्नों में सबसे अधिक उगाया जाने वाला अनाज है। इसे अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में प्रागेतिहासिक काल से उगाया जाता रहा है, यद्यपि इसका मूल अफ्रीका में माना गया है। भारत में इसे बाद में प्रस्तुत किया गया था। भारत में इसे इसा पूर्व 2000 वर्ष से उगाये जाने के प्रमाण मिलते है। इसका मतलब है कि यह अफ्रीका में इससे पहले ही उगाया जाने लगा था। यह पश्चिमी अफ्रीका के सहल क्षेत्र से निकल कर फैला है।
बाजरे की विशेषता है सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उग जाना, तथा ऊँचा तापक्रम झेल जाना। यह अम्लीयता को भी झेल जाता है। यही कारण है कि यह उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां मक्का या गेहूँ नही उगाये जा सकते। आज विश्व भर में बाजरा 260,000 वर्ग किलोमीटर में उगाया जाता है। मोटे अन्न उत्पादन का आधा भाग बाजरा होता है।