माले। ताजा अध्ययन में मालदीव सहित कई निचले देशों को डूबने से बचाने के लिए लिए कृत्रिम रूप से द्वीपों की ऊंचाई बढ़ाने या पूरे नए उच्च द्वीपों के निर्माण की वकालत की गई है। बढ़ते जलवायु परिवर्तन के खतरों के बीच मालदीव के वैज्ञानिकों के साथ काम करते हुए, साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट एंग्लिया में टाइंडल सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज रिसर्च, और टीईडीआई-लंदन ने बताया कि द्वीपों को बढ़ाने या नए निर्माण के लिए सरल इंजीनियरिंग सिद्धांतों का उपयोग करने से छोटे द्वीपों को मदद मिल सकती है। मालदीव जैसे राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के कारण जल्द समुद्र में समा सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी माले और पड़ोसी द्वीप में तेजी से बढ़ती आबादी के बीच कई द्वीप अब सुनसान हो गए हैं जिनको ऊंचा किया जा सकता है।शोधकर्ताओं का सुझाव है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि और तूफानों के दीर्घकालिक जोखिम से बचाव के लिए समुद्र तल से छह मीटर या उससे अधिक ऊंचे द्वीपों का निर्माण किया जाना चाहिए। साथ ही शोध में नए द्वीपों के निर्माण की भी सिफारिश की गई है जिसमें जनसंख्या धीरे-धीरे एक अनुकूल तरीके से आगे बढ़ सकती है।
हालांकि शोध की कई बातों को धरातल पर उतारना बेहद मुश्किल दिखाई पड़ता है। टाइन्डल सेंटर के निदेशक प्रोफेसर रॉबर्ट निकोल्स ने कहा, “हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि मालदीव की पूरी आबादी सिर्फ दो द्वीपों पर रह सकती है, जो समुद्र के स्तर में वृद्धि का सामना करने के लिए प्राकृतिक द्वीपों की तुलना में काफी अधिक ऊंचाई पर बने हैं।”शोधकर्ताओं का सुझाव है कि महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग निवेश और सरकारी समर्थन के साथ, मालदीव की आबादी समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण पलायन करने के लिए मजबूर होने के बजाय भविष्य में अपने देश में रह सकती है।