इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इस तरह बनाएं घर पर काढ़ा
मध्यप्रदेश के भोपाल में आयुष विभाग ने जानकारी दी है
जानत से रिश्ता वेबडेस्क | मध्यप्रदेश के भोपाल में आयुष विभाग ने जानकारी दी है कि आयुष पद्धति अपनाकर कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम एवं रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इसके लिये आयुष विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है और जीवन अमृत योजना के तहत काढ़े का वितरण किया जा रहा है। इस बार 8 से 26 अप्रैल तक 59 हजार 843 काढ़े के पैकेट इतने ही परिवारों को उपलब्ध कराये गये हैं। इससे लाभ लेने वाले सदस्यों की संख्या एक लाख 49 हजार 6०8 है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये आयुर्वेदिक चिकित्सा अनुसार एक चुटकी, हल्दी और नमक के साथ गर्म पानी से गरारे किये जाने चाहिये। प्रतिमर्स नस्य- नाक के प्रत्येक नथुने में प्रतिदिन सुबह अणु, तिल तेल की 2-2 बूंद डाली जा सकती है।
अश्वगंधा चूर्ण के एक से तीन ग्राम चूर्ण को लगातार 15 दिन तक गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है। सशंमनी वटी, गुड़ुची, गिलोय घनवटी 5०० मिली ग्राम दिन में दो बार ले सकते हैं। त्रिकटु पाउडर एक ग्राम, तुलसी 3 से 5 पत्तियाँ एक गिलास पानी में उबालकर पीने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तुलसी की पत्तियाँ, दालचीनी, शुण्डी और कालीमिर्च का काढ़ा भी उपयोगी है। कि आयुष पद्धति अपनाकर कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम एवं रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इसके लिये आयुष विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है और जीवन अमृत योजना के तहत काढ़े का वितरण किया जा रहा है। इस बार 8 से 26 अप्रैल तक 59 हजार 843 काढ़े के पैकेट इतने ही परिवारों को उपलब्ध कराये गये हैं। इससे लाभ लेने वाले सदस्यों की संख्या एक लाख 49 हजार 6०8 है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये आयुर्वेदिक चिकित्सा अनुसार एक चुटकी, हल्दी और नमक के साथ गर्म पानी से गरारे किये जाने चाहिये। प्रतिमर्स नस्य- नाक के प्रत्येक नथुने में प्रतिदिन सुबह अणु, तिल तेल की 2-2 बूंद डाली जा सकती है।
अश्वगंधा चूर्ण के एक से तीन ग्राम चूर्ण को लगातार 15 दिन तक गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है। सशंमनी वटी, गुड़ुची, गिलोय घनवटी 5०० मिली ग्राम दिन में दो बार ले सकते हैं। त्रिकटु पाउडर एक ग्राम, तुलसी 3 से 5 पत्तियाँ एक गिलास पानी में उबालकर पीने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तुलसी की पत्तियाँ, दालचीनी, शुण्डी और कालीमिर्च का काढ़ा भी उपयोगी है।