आइए जानते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, महत्व, मंत्र और कथा

कल नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है।

Update: 2022-04-03 10:36 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेक्स। इस समय चैत्र नवरात्रि चल रही हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। कल नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है, जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। आइए जानते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा विधि, महत्व, मंत्र और कथा...

माता चंद्रघंटा की पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन विधि- विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना करनी चाहिए। मां की अराधना उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है। माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। आप मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगा सकती हैं। नवरात्रि के हर दिन नियम से दुर्गा चालीस और दुर्गा आरती करें।

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व

मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है।

विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

मां चंद्रघंटा की आरती


जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।


पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।


चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।


क्रोध को शांत करने वाली।


मीठे बोल सिखाने वाली।


मन की मालक मन भाती हो।


चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।


सुंदर भाव को लाने वाली।


हर संकट मे बचाने वाली।


हर बुधवार जो तुझे ध्याये।


श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।


मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।


सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।


शीश झुका कहे मन की बाता।


पूर्ण आस करो जगदाता।


कांचीपुर स्थान तुम्हारा।


करनाटिका में मान तुम्हारा।


नाम तेरा रटूं महारानी।


भक्त की रक्षा करो भवानी।


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