आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि क्या सनस्क्रीन ब्लू लाइट्स से हमारी त्वचा की रक्षा करते हैं
हममें से कितने लोग यह भूल गए हैं कि हमारी सनस्क्रीन ट्यूब कहां पड़ी है? मुझे तो यह मेरे बैग में पड़ी मिली, जिसे मैंने लॉकडाउन से ठीक पहले ट्रैवलिंग के दौरान इस्तेमाल की थी, है ना थोड़ा सरप्राइज़िंग! पर सबके साथ लगभग यही हुआ है. आप में कितने लोग ऐसे हैं, जो अपने स्किन केयर रूटीन को बहुत ईमानदारी से निभा रहे हैं? वैसे तो मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करती हूं, लेकिन कभी-कभी मैं सीरम लगाने की जगह सोना पसंद करती हूं.
चलिए हम ज़्यादा घुमा-फिरा कर बात नहीं करते हुए सीधे पॉइंट पर आते हैं. जबसे हमने घरों में रहना शुरू किया है, हममें से ज़्यादातर लोग एसपीएफ़ (सन प्रोटेक्शन फ़ैक्टर) को भूल गए हैं या उसे ज़रूरी नहीं समझते हैं, तो हम यहां पर एक फ़ैक्ट चेक करते हैं: स्कीन एक्सपर्ट पॉला बेगॉन, फ़ाउंडर, पॉल्स चॉइस कहती हैं कि,‘‘आपको साल के 365 दिन सनस्क्रीन लगाना ज़रूरी है, भले ही आप वर्क फ्रॉम होम ही क्यों ना कर रही हों. अल्ट्रा वायलेट (यूवी) किरणें खिड़कियों से भी आपके घरों में पहुंचती हैं और एक रिसर्च की मानें, तो अगर आप असुरक्षित रूप से धूप में जाती हैं, तो एक मिनट में आपकी त्वचा को नुक़सान पहुंचना शुरू हो जाता है.’’
लेकिन क्या घर के अंदर सनस्क्रीन लगाने का मतलब है कि हमारी त्वचा को लैपटॉप और फ़ोन की स्क्रीन से निकलनेवाली ब्लू लाइट्स और अन्य हानिकारक किरणों से सुरक्षा मिलती है? जवाब है नहीं. यदि आप रोज़ाना घर में सनस्क्रीन लगती हैं फिर भी आपकी स्किन डल नज़र क्यों आती है, तो इसका ज़वाब यहां पर है. पॉला बताती हैं कि,‘‘जो सामग्रियां यूवी किरणों से प्रॉटेक्ट करने के लिए सनस्क्रीन में मौजूद होती हैं, ब्लू लाइट्स की यूवी किरणें लगभग पूरी तरह से उस रेंज से परे होती हैं. (सनस्क्रीन 320 नैनोमीटर से 400 नैनोमीटर की यूवी लाइट्स से सुरक्षा प्रदान करते हैं, जबकि ब्लू लाइट्स की यूवी 380 नैनोमीटर से लेकर 500 नैनोमीटर के बीच की होती है.)’’
पॉला इस बात पर अपनी सहमत हैं कि, ब्लू यूवी किरणें हमारी त्वचा में गहराई तक प्रवेश कर जाती हैं, जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ाने के साथ फ्री रैडिकल्स डैमेज, प्रीमैच्योर फ़ोटो-एजिंग, स्किन डिस्कलरेशन, इंफ़्लेमेशन और स्किन बैरियर डैमस्ज जैसी समस्याएं पैदा करती हैं.
अब सवाल यह है कि अपनी त्वचा को इस फ़ोटो डैमेज़ से कैसे बचाया जाए? हालांकि एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि डिवाइस सेटिंग से इसे यलो लाइट में बदल दें या स्क्रीन शील्ड में इन्वेस्ट करें, इससे त्वचा पर ढेर सारे स्किन केयर लगाने से अच्छा है कि इससे अपनी त्वचा को कम नुक़सान पहुंचेगा. पॉला इस निष्कर्ष पर पहुंचती हैं,‘‘हालांकि सनस्क्रीन प्रॉडक्ट्स ब्लू लाइट्स से प्रोटेक्ट नहीं करते हैं फिर भी आप ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और इसकी वजह से फ्री रैडिकल्स की परेशानी को कम करने ऐंटी-ऑक्सिटेंड्स से भरपूर सीरम लगाकर इस नुक़सान को कम कर सकती हैं.’’