प्रेगनेंसी के दौरान एंटीबायोटिक का प्रयोग सुरक्षित है या नहीं, जानें यहा
एंटीबायोटिक्स फंगल, वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | एंटीबायोटिक्स फंगल, वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन के इलाज के लिए दी जाने वाली दवा है. ये दवाएं बैक्टीरिया को मारकर उन्हें बढ़ने से रोकने का काम करती हैं. लेकिन गर्भवती महिला के लिए क्या एंटीबायोटिक्स का सेवन सुरक्षित है या नहीं, ये सवाल अक्सर महिलाओं के जेहन में होता है क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं कई बार संक्रमण की शिकार हो जाती हैं और ऐसे में उन्हें एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत पड़ जाती है. आइए जानते हैं इस बारे में.
एंटीबायोटिक दवाओं के अलग-अलग साइड इफेक्ट होते हैं, जिनमें से कुछ का विपरीत असर बच्चे की ग्रोथ पर भी देखा गया है. खासतौर पर पहली तिमाही के दौरान बच्चे को सबसे अधिक खतरा होता है क्योंकि इस दौरान बच्चे के अंग और टिश्यू विकसित हो रहे होते हैं. ऐसे में विशेषज्ञ गर्भावस्था के समय महिला को होने वाले संक्रमण की गंभीरता और बच्चे को होने वाले जोखिमों को देखते हुए कुछ खास दवाएं और जरूरत के हिसाब से उनकी डोज लेने की सलाह देते हैं. सामान्यतः मां और बच्चे की सुरक्षा की दृष्टि से करीब 10 फीसदी एंटीबायोटिक दवाओं को ही सुरक्षित माना जाता है. इसलिए कभी भी विशेषज्ञ की सलाह के बगैर एंटीबायोटिक ही नहीं, बल्कि कोई भी दवा न लें.
कब होती है जरूरत
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं, ऐसे में उसे कई तरह के संक्रमण का भी खतरा होता है. आमतौर पर यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी यूटीआई, वैजाइनल इन्फेक्शन, श्वसन, कान, नाक और गले का संक्रमण के दौरान डॉक्टर महिला को एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह देते हैं. इसके अलावा गर्भावस्था में प्रीटर्म लेबर, इंट्रापार्टम बुखार, नियोनेटल ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस फीवर की रोकथाम और सिजेरियन सेक्शन में भी एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन कराया जाता है.
इन दवाओं को माना जाता है सुरक्षित
आमतौर पर बीटा-लैक्टम, वैनकोमाइसिन, नाइट्रोफ्यूरन्टाइन, मेट्रोनिडाजोल, क्लिंडामाइसिन, फोसफोमाइसिन, एन्सेफ, रोसफिन, जेंटामाइसिन, नियोमाइसिन आदि को विशेषज्ञ सुरक्षित मानते हैं, लेकिन फिर भी बगैर डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा न लें.