जानिए गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज की समस्या क्या है, इसकी प्रमुख वजहें ,बचाव और लक्षण

गर्भवस्था के दौरान महिलाएं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं

Update: 2020-12-23 05:35 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गर्भवस्था के दौरान महिलाएं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं उनमें से कुछ का प्रभाव पॉजिटिव होता है तो कुछ एक का निगेटिव। कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज या जेस्टेशनल डायबिटीज का भी शिकार हो जाती हैं। जिसकी वजह से उनका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। लेकिन इस समस्या से घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि शिशु के जन्म के बाद ये समस्या खुद ही खत्म भी हो जाती है।

तो अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज का शिकार हों तो बहुत ज्यादा टेंशन न लें इसे आप काफी हद तक बिना दवाओं के ही कंट्रोल कर सकती हैं। लेकिन वहीं अगर आपने लापरवाही बरती तो फ्यूचर में टाइप 2 के होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ेगा और आगे चल कर उसे भी डायबिटीज हो सकती है।इसके अलावा, प्रेगनेंसी और डिलीवरी में भी दिक्कतें होती हैं।
जेस्टेशनल डायबिटीज के प्रमुख लक्षण
- बहुत ज्यादा और बार-बार भूख लगना
- बार-बार पेशाब लगना
- थकान
- बहुत ज्यादा प्यास लगना
- साफ-साफ दिखाई न देना
- सोते वक्त खर्राटे लेना
जेस्टेशनल डायबिटीज की वजहें
- प्रेग्नेंसी में बढ़ा हुआ वजन
- प्रेग्नेंसी में बॉडी में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव
- परिवार में किसी को डायबिटीज हो
- फिजिकल एक्टविटीज में कमी
- पहले से मोटी या ओवरवेट हों
- ओवरी में किसी तरह का कॉम्प्लीकेशन
कैसे करें बचाव
1. फाइबर और लो कैलोरी वाले हेल्दी फूड्स को डाइट में शामिल करें। प्रेग्नेंसी में फैटी फूड्स से दूरी बनाएं और न्यूट्रिशन से भरपूर चीज़ें खाएं। जो आपके और होने वाले शिशु दोनों के ही लिए फायदेमंद है।
2. तैयारी के साथ फैमिली प्लानिंग करें जिससे मोटापे जैसी चीज़ों को आप समय रहते कंट्रोल कर सकें, क्योंकि ओबेसिटी और ओवरवेट जेसटेशनल डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इन दोनों को कम करके आप न सिर्फ ब्लड शुगर लेवल बल्कि और भी दूसरे कॉम्प्लीकेशन्स को कम कर सकती हैं।
3. प्रेग्नेंसी में भी फिजिकल एक्टिविटीज जारी रखें। एक्सरसाइज, योगा और भी दूसरे तरह की वर्कआउट प्रेग्नेंसी में होने वाली प्रॉब्लम्स की संभावनाओं को कम करते हैं।


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