जानिए सुरेखा यादव के रेल ड्राइवर बनने की कहानी
भारत की महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। देश विदेश में भारतीय महिलाओं की काबिलियत को पहचान कर उन्हें सम्मानित पद की जिम्मेदारी दी जा रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत की महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। देश विदेश में भारतीय महिलाओं की काबिलियत को पहचान कर उन्हें सम्मानित पद की जिम्मेदारी दी जा रही है। कहा भी जाता है कि आज की महिलाएं हर काम कर सकती हैं। आसमान में प्लेन उड़ाने से पटरी पर ट्रेन दौड़ाने तक में महिलाएं सक्षम हैं। लेकिन आधुनिक भारत की महिलाओं को आज हर क्षेत्र में मौके मिल रहे हैं, इसी कारण वह अधिक सक्षम है। हालांकि आज की महिलाओं को ये मौके इतिहास की उन महिलाओं के कारण मिले, जिन्होंने पहली बार किसी ऐसे क्षेत्र में कदम रखा, जहां कभी किसी महिला ने प्रवेश ही नहीं किया था। उनके पहले प्रयास और सफलता के कारण ही महिलाओं के लिए रास्ते खुलते चले गए। इन्हीं सफल महिलाओं में शामिल हैं सुरेखा यादव। सुरेखा यादव पहली भारतीय महिला हैं, जो ट्रेन की पायलट बनीं। ट्रेन के ड्राइवर को लोको पायलट कहते हैं। सुरेखा यादव पूरे एशिया की पहली लोको पायलट हैं। चलिए जानते है सुरेखा यादव के रेल ड्राइवर बनने की कहानी।