जानें मदर्स डे का महत्व और इतिहास, हर साल मई के दूसरे रविवार को किया जाता है सेलिब्रेट
मदर्स डे का महत्व और इतिहास
हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है, इस लिहाज से इस वर्ष नौ मई को 'मदर्स डे' मनाया जाएगा। मां ईश्वर द्वारा बनाई गई ऐसी कृति है जो मरते दम तक निस्वार्थ भाव से बच्चे पर प्यार लुटाती है। मदर्स डे बच्चों के लिए बहुत खास दिन होता है और इस दिन को बच्चे अलग-अलग तरह से अपनी मां के साथ मनाते हैं। इस दिवस की शुरुआत कैसे हुई, इस बारे में आगे जानते हैं।
मदर्स डे का इतिहास
मदर्स डे की शुरुआत 1908 में अमेरिका से हुई थी। अमेरिका के वर्जीनिया में रहने वाली एना ने अपनी मां के प्रेम और समर्पण को देखते हुए इस दिन की शुरुआत की थी। ऐसा कहा जाता है कि एना की मां ने उसे बड़े जतन से पाला पोसा था। अपनी मां के समर्पण से वह बहुत प्रभावित हुईं और मां से बेहद प्यार करने लगीं। उस दौरान एना ने प्रतिज्ञा की थी कि वह कभी शादी नहीं करेंगी और मां की सेवा उसी भाव से करेंगी, जैसा उसकी मां करती हैं। काफी समय के बाद एना की मां का निधन हो गया। इसके बाद अमेरिका में गृहयुद्ध के दौरान एना ने घायल हुए सैनिकों की देखभाल मां के रूप में की। एना अपनी मां को सम्मान देना चाहती थीं, इसलिए वो एक ऐसे दिन की तलाश कर रहीं थीं, जिस दिन दुनिया की सभी माओं को सम्मान मिल सके। इसके बाद एना ने मां के प्रति सम्मान के लिए 'मदर्स डे' की शुरुआत की। इसे लेकर उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस को प्रस्ताव दिया, जो खारिज कर दिया गया। इसके बाद 1911 में प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया, जिसके फलस्वरूप अमेरिका के राष्ट्रपति ने 'मदर्स डे' मनाने की घोषणा की।
मदर्स डे का महत्व
मां के बलिदान और निस्वार्थ प्रेम के प्रति आभार प्रकट करने के लिए 'मदर्स डे' मनाया जाता है। बच्चे इस खास दिन अपनी मां को स्पेशल महसूस कराने के लिए तमाम करह की तैयारियां करते हैं। अपनी मां को प्यार जताने के लिए बच्चे गिफ्ट्स, कार्ड्स देते हैं और लंच व डिनर के लिए बाहर ले जाते हैं, लेकिन इन दिनों कोरोना के कारण बाहर जाना मुश्किल है इसलिए इस दिन के लिए लोग घर पर ही तैयारियां कर रहे हैं।