जानिए कोरोना संक्रमण में मिट्टी की बोतलो और मटको से पानी पिने के फायदे
गर्मी का असर बढ़ता जा रहा है दूसरी और कोरोना के खौफ का साया पीछा नहीं छोड़ रहा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गर्मी का असर बढ़ता जा रहा है दूसरी और कोरोना के खौफ का साया पीछा नहीं छोड़ रहा। इस मौसम में ठंडा पानी सर्दी खांसी और गला खराब कर सकता है। इस मौसम में चिल्ड पानी सर्दी ज़ुकाम का सबसे बड़ा कारण हो सकते हैं। कोरोना के इस दौर में डॉक्टर ठंडा पानी पीने से परहेज करने की सलाह दे रहे हैं। अगर आप गर्मी में ठंडे पानी से परहेज नहीं कर सकते तो आप मटके का पानी पीएं। मटके में प्राकृतिक तौर पर पानी ठंडा होता है जो सेहत के लिए अधिक सुरक्षित और सेहतमंद माना गया है।
आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तनों में पानी रखने और उनमें भोजन पकाने तक के फायदे माने गए हैं। कोरोना के इस दौर में मिट्टी के घड़े, बोतलें और टेंक तक मौजूद है जिसमें पानी को आसानी से स्टोर करके इस्तेमाल किया जा सकता है। कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच मिट्टी की आधुनिक बोतले और मटके में पानी को प्राकृति रूप से ठंडा करके उसका सेवन किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि मिट्टी के बर्तन में कैसे पानी ठंडा होता है और उसके पीने से कौन-कौन से फायदे हैं।
कैसे ठंडा रहता है पानी:
मिट्टी के बने मटके में सूक्ष्म छिद्र होते हैं। ये छिद्र इतने सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर निर्भर करता है। जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज्यादा पानी भी ठंडा होगा। इन सूक्ष्म छिद्रों द्वारा मटके का पानी बाहर निकलता रहता है। गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है। वाष्प बनने के लिए गर्मी यह मटके के पानी से लेती है। इस पूरी प्रक्रिया में मटके का तापमान कम हो जाता है और पानी ठंडा रहता है।
मटके का पानी पीने के फायदे
इम्यूनिटी को बढ़ाता है घड़े का पानी:
मिट्टी के घड़े या बोतल में पानी को ठंडा करके पीने से इम्यून सिस्टम दुरुस्त रहता है। घड़े में पानी स्टोर करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।
पानी में पीएच का संतुलन:
मिट्टी में क्षारीय गुण विद्यमान होते है। क्षारीयता पानी की अम्लता के साथ प्रभावित होकर, उचित पीएच संतुलन प्रदान करती है। इस पानी को पीने से एसिडिटी दूर होती है और पेट दर्द से राहत मिलती हैं।
गले को ठीक करता:
गर्मियों में ठंडा पानी पीने की तलब ज्यादा होती है और हम फिज्र से ठंडा पानी पीते रहते हैं। ठंडा पानी पीने से गले की कोशिकाओं का ताप अचानक से गिर जाता है जिसके कारण गले का पकना और ग्रंथियों में सूजन आने लगती है। ठंडा पानी शरीर की क्रियाओं को बिगड़ता है।
ठंडा पानी कब्ज बढ़ा सकता है:
बर्फीला पानी पीने से कब्ज की शिकायत हो सकती है। मटके का पानी बहुत अधिक ठंडा नहीं होता इसलिए यह पाचन को दुरुस्त रखता है। इसे पीने से संतुष्टि मिलती है। इसका नियमित उपयोग पेट दर्द, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है।
विषैले पदार्थ सोखने की शक्ति:
मिटटी में शुद्धि करने का गुण मौजूद होता है, यह सभी विषैले पदार्थ सोख लेता है। इस पानी का सेवन करने से सभी जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व मिलते है। इसमें पानी सही तापमान पर रहता है, ना बहुत अधिक ठंडा ना गर्म रहता।
अर्थराइटिस में बेहद असरदार है:
यह शरीर में दर्द, ऐठन या सूजन जैसी समस्याओं से निजात दिलाता है। अर्थराइटिस की बीमारी में यह बेहद फायदेमंद माना जाता है।
एनीमिया से छुटकारा दिलाता है:
एनीमिया की बीमारी से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए मिट्टी के बर्तन में रखा पानी पीना बेहद फायदेमंद है। मिट्टी में आयरन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। एनीमिया आयरन की कमी से होने वाली एक बीमारी है।