जानिए डिप्रेशन से कैसे बचा जा सकता है

Update: 2022-08-07 08:31 GMT

इस भागदौड़ भरी दुनियां में अनगिनत बीमारियों ने मानव जीवन को घेर रखा है। कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनका इलाज दवाइयों से भी नहीं है। डिप्रेशन ऐसी ही बीमारी है। यह एक आम बीमारी है। इसे अवसाद भी कहते हैं लेकिन हमारे देश में अभी भी इस बीमारी को बीमारी नहीं माना जाता बल्कि अंधविश्वास से जोड़कर पता नहीं क्या क्या अफवाह बनाई जाती हैं जबकि डिप्रेशन एक मानसिक रोग है। इसमें व्यक्ति थकान, अस्थिरता, अकेलापन, उदासी, निराशा, पछतावा जैसी नकारात्मक बातें महसूस करता है। उसे लगता है कि वह बहुत बीमार हो गया है जिसका कोई इलाज नहीं। वह इस दुनियां में सब पर बोझ हो गया है। उसकी किसी को जरूरत नहीं है। अवसादग्रस्त व्यक्ति स्वयं को सिर्फ बीमार और उदास ही महसूस नहीं करता बल्कि वह हंसने से भी डरता है। छोटा-मोटा काम पूरा करने में भी उसे अपने ऊपर विश्वास नहीं होता। उसे सब कुछ असंभव लगता है। वह जरा जरा सी बात पर परेशान हो जाता है।

उसका चेहरा बिलकुल उदास और चिंता से घिरा रहता है। अवसाद के कई कारण होते हैं। खासकर जैविक, आनुवंशिक व मनोसामाजिक आदि कारणों से व्यक्ति अवसाद का शिकार हो जाता है। देखा जाता है कि कोई किसी अपने की मौत पर डिप्रेशन में चला जाता है, कोई अपनी गंभीर बीमारी के कारण डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। शरीर में कभी कभी बायोकेमिकल असंतुलन भी डिप्रेशन का कारण बन जाता है। मस्तिष्क में मौजूद कैमिकल्स तंत्रिकाओं को अपने संदेश भेजते हैं। जब इन रसायनों में असंतुलन हो जाता है तो ये तंत्रिकाओं को सही ढंग से संदेश नहीं भेज पाते जिससे व्यक्ति का व्यवहार ही बदल जाता है। ऐसा वह जानबूझकर नहीं करता बल्कि उसके शरीर के अंदर से यह प्रतिक्रिया होती है। यह सब डिप्रेशन के ही लक्षण हैं। यह सच है कि यदि एक बीमारी का इलाज न किया जाये तो वह दूसरी बीमारियों को भी निमंत्रण दे देती है। इसी तरह यदि डिप्रेशन का भी इलाज न किया जाये तो अन्य बीमारी होने का डर रहता है। खासतौर पर डिप्रेशन तो अन्य परेशानियों और बीमारियों को बढ़ावा देता है। व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।

डिप्रेशन से दिल की कई बीमारियों का संबंध भी खोजा जा चुका है। डिप्रेशन के द्वारा व्यक्ति के खून में सेरोटिन नामक हारमोन की कमी हो जाती है जिससे धमनियों में रक्त के जमने का डर बन जाता है। इससे हृदय एवं मस्तिष्क को खतरा पैदा हो जाता है। इसके अलावा दिल से जुड़ी अन्य बीमारियां होने का डर रहता है। अवसाद के बढऩे से पहले ही उसका उपाय ढूंढ लेना चाहिए नहीं तो वह गंभीर रूप ले सकता है। डिप्रेशन के लिए कई तरीके उपचार स्वरूप उपलब्ध हैं। इसके लिए किसी मनोचिकित्सक से मिलकर सलाह लेना उचित रहता है। वह रोगी की परेशानी को समझकर उसका उचित इलाज करता है।

डिप्रेशन को दूर करने के लिए आजकल चिकित्सकों के पास कई थेरेपी मौजूद हैं। ये व्यक्ति या रोगी से बातचीत के आधार पर की जाती हैं जैसे कि बिहेवियर थेरेपी और फैमिली थेरेपी वगैरह। इन थेरेपी के साथ साथ यदि जरूरत होती है तभी कोई दवाई रोगी को दी जाती है अन्यथा नहीं । डिप्रेशन में व्यक्ति को ट्रीटमेंट के साथ साथ अन्य चीजों की भी आवश्यकता होती है। उसके अंदर आत्मविश्वास जागृत किया जाना चाहिए। उसे परिस्थितियों से निपटने के लिए मजबूत बनाना चाहिए। उसके दिमाग को रूचिकर कार्यों में लगने दें। उसे उत्साहित करें। स्वयं रोगी को भी हर काम को सकारात्मक रूप में देखना चाहिए। उसे ऐसे कामों में समय बिताना चाहिए जिससे कि मन प्रफुल्लित हो एवं कुछ करने का जज्बा लगे। इसी तरह से उसे डिप्रेशन से निकलने में मदद मिलेगी।

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