लाइफस्टाइल: ई-सिगरेट, जिसे इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट या वेप पेन के रूप में भी जाना जाता है, बैटरी से चलने वाले उपकरण हैं. ई-सिगरेट के उपयोग के लॉन्ग टर्म हेल्थ इफेक्ट अभी भी अज्ञात हैं, क्योंकि ये उपकरण रिलेटिवली नए हैं. हालांकि, शोध से पता चलता है कि ई-सिगरेट पूरी तरह से हानिरहित नहीं है और इसमें कई जोखिम हो सकते हैं. ज्यादातर ई-सिगरेट में निकोटीन होता है, जो लत लगाने वाला होता है. निकोटीन की लत कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है खासकर युवाओं में. यहां कुछ सामान्य तरीके बताए गए हैं जिनसे ई-सिगरेट हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है.
ई-सिगरेट के इस्तेमाल से होने वाली हेल्थ प्रोब्लम्स
1. फेफड़ों को नुकसान
ई-सिगरेट फेफड़ों में सूजन और टिश्यू डैमेज का कारण बन सकती है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं और फेफड़ों पर स्थायी घाव हो सकते हैं. ई-सिगरेट एरोसोल रेस्पिरेटरी सिस्टम को परेशान कर सकता है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है. फेफड़ों की गंभीर चोट और यहां तक कि वेपिंग से जुड़ी मौतों के मामले भी सामने आए हैं. इसके अलावा, ई-सिगरेट फॉर्मेल्डिहाइड, एक्रोलिन जैसे केमिकल को प्रोड्यूस करती है, जो फेफड़ों और ऑलओवर हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
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2. लंग फंक्शन के लिए नुकसानदायक
ई-सिगरेट के नियमित उपयोग को फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है, जिससे व्यक्तियों के लिए सांस लेना कठिन हो जाता है और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है.
3. इंफेक्शन को लेकर सेंसिटिव
ई-सिगरेट का उपयोग इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है और रेस्पिरेटरी सिस्टम के इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता को खराब करता है. इससे बार-बार रेस्पिरेटरी इंफेक्शन हो सकता है और निमोनिया या ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ सकता है.
4. अस्थमा का बढ़ना
ई-सिगरेट अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकती है और अस्थमा जैसी रेस्पिरेटरी कंडिशन को खराब कर सकता है. सांस के जरिए अंदर जाने वाले रसायन और जलन और सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. ये अस्थमा के मरीजों के लिए ई-सिगरेट को जानलेवा बनाता है.
5. एयरवेस सेल्स को डैमेज करता है
ई-सिगरेट के स्टीम में जहरीले रसायन और नैनोकण होते हैं जो एयरवेस लाइनिंग वाली सेल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इनके लगातार संपर्क से रेस्पिरेटरी सिस्टम की नॉर्मल फंक्शनिंग खराब हो सकती है.
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6. रेस्पिरेटरी डिजीज
ई-सिगरेट का उपयोग ब्रोंकियोलाइटिस ओब्लिटरन्स (पॉपकॉर्न फेफड़े) जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों के विकसित होने के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है. ये स्थिति छोटे वायुमार्गों में घाव और रुकावट का कारण बनती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है.
7. फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ना
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि ई-सिगरेट स्टीम में केमिकल्स को सांस लेने से ट्रेडिशनल सिगरेट स्मोकिंग के समान फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
यह ध्यान रखना जरूरी है कि ई-सिगरेट के उपयोग के लॉन्ग टर्म इफेक्ट पर अभी भी शोध किया जा रहा है. अभी साक्ष्य बताते हैं कि ई-सिगरेट रेस्पिरेटरी सिस्टम पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है, जिससे संभावित रूप से परमानेंट डैनेज हो सकती है. अगर आप ई-सिगरेट का उपयोग करने पर विचार कर रहे हैं, तो सलाह दी जाती है कि आप अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स से सलाह लें या धूम्रपान छोड़ने के अन्य तरीकों पर विचार करें.