यदाद्री मंदिर कहां हैं?
तेलंगाना सरकार ने पौराणिक महत्व को ध्यान में रखते हुए यदाद्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर का निर्माण करने की घोषणा की थी। इस मंदिर के निर्माण योजना को साल 2016 में मंजूरी मिली। जिसके बाद इसे 1900 एकड़ भूमि पर तैयार किया गया।
1900 एकड़ में बना है यदाद्री लक्ष्मी नृसिंह मंदिर
इस मंदिर में भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की प्रतिमा है, जो कि पूरी दुनिया में एक मात्र प्रतिमा है। हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक स्कंद पुराण में इस मंदिर और नृसिंह अवतार का वर्णन किया गया है। हजारों साल पुराना यह मंदिर पहले 9 एकड़ में था, लेकिन रेनोवेशन के बाद लक्ष्मी नृसिंह मंदिर 1900 एकड़ भूमि पर बनाया गया है, जो मंदिर की विशालता और समृद्धि का एक नमूना है।
ब्लैक ग्रेनाइट पत्थरों से बना मंदिर
मंदिर की खूबसूरती के सामने बड़े बड़े महल भी फेल हैं। इस मंदिर के निर्माण के लिए 1200 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया। मंदिर के निर्माण में ब्लैक ग्रेनाइट स्टोन का इस्तेमाल इसकी खूबसूरती को तो बढ़ा ही रहा है, साथ ही भविष्य में 1000 साल तक मंदिर को यथास्थिति में बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। मंदिर के निर्माण में ब्लैक ग्रेनाइट पत्थरों को जोड़ने के लिए सीमेंट नहीं बल्कि चूने का प्रयोग किया गया। मंदिर के गर्भगृह के गुंबद में 125 किलो सोना लगा हुआ है।
यदाद्री मंदिर का इतिहास और मान्यता
स्कंद पुराण में यदाद्री मंदिर का वर्णन मिलता है। मान्यताओं के मुताबिक, महर्षि ऋष्यश्रृंग के बेटे यद ऋषि ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान विष्णु ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर नृसिंह रूप में उन्हें दर्शन दिए। उसके बाद भगवान नृसिंह इस स्थान पर तीन रूपों में विराजमान हैं। मान्यताओं के मुताबिक, भगवान विष्णु की नृसिंह प्रतिमा दुनियाभर में मात्र इसी मंदिर में है। मंदिर के अंदर 30 करीब 12 फीट ऊंची और 30 फीट लंबी गुफा है, जहां नृसिंह भगवान के तीन मूर्तियां, जिसमें ज्वाला नृसिंह, गंधभिरंदा नृसिंह और योगानंद नृसिंह की प्रतिमा है। साथ ही माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा भी है।
कैसे पहुंचे यदाद्री मंदिर ?
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए हैदराबाद एयरपोर्ट से बस या टैक्सी के जरिए 60 किलोमीटर दूर यदाद्री मंदिर जाया जा सकता ह। रेल मार्ग से आ रहे हैं तो भुवनगिरी रेलवे स्टेशन से 14 किलोमीटर की दूरी पर है।